हरिया ने भूख मिटाई !!
प्रेषक : कविता,
नमस्कार दोस्तौ, मेरा नाम कविता है मैं एक गॉव की रहने वाली हूँ। मेरे पति का खेती बाड़ी का काम था पर उनकी मृत्यु के बाद जैसे किसी चीज़ में सुख नहीं रहा था शारीरिक सुख ही छूट गया था मेरे पति के मरने के बाद हरिया ने ही सारे खेत की जिम्मेदारी संभाली थी और वो हर सीजन में अनाज या दूसरी फसल उगा के मुझे पैसे या तो अनाज घर तक पहुंचा देता था हरिया की इसी ईमानदारी ने मुझे उसके तरफ आकर्षित किया था मुझे भी भरी जवानी में शरीर सुख पाने का मौका मिल गया था।
हरिया से मैं अक्सर चुदाई करवाती थी और उसका लंड मेरी 28 साल की ढलती जवानी का सहारा था उसने आज तक जरा भी जाहिर नहीं होने दिया था की मैं उसका लंड लेती हूँ दुनिया के सामने वो वही किसान था जो हमारे खेतो में जोतता था हरिया की बीवी सुधा भी हमारे सबंध से वाकिफ थी और उसे भी इसमें कोई एतराज नहीं था वह शायद इसलिए की मैं हरिया और उसकी फेमिली की पूरी जिम्मेदारी उठाये हुए थी दिवाली पर सभी के कपडे और आये दिनों भी मैं सुधा और उसके दो बच्चो को खुस रखती थी मेरी पहली चुदाई की बात आज मैं आपको बताने जा रही हूँ।
रात को फार्म पे सोये हुआ हरिया का लंड देखा यह तब की बात हैं जब मैं गर्मियों के चलते अपने बेटे पूरन और देवर के साथ फार्म पर ही सोती थी. पूरन की उम्र 10 साल हैं. उस दिन पूरन के दोस्त की बर्थ-डे पार्टी थी और वो अपने चाचा के साथ घर पे आया था मैं फ़ार्म पर अकेली थी इसलिए हरिया वहाँ आया। हरिया चारपाई उठा के ले आया और उसने घर के बहार ही चारपाई बिछा दी शायद देवर ने उसे मेरे लिए बहार सोने को कहा था मैं भी अंदर सो गई। तभी छत पर नारियल गिरा और मेरी आँख खुल गई मैंने बहुत कोशिश की लेकिन मैं सो नहीं पाई मैंने घडी की तरफ देखा, 10:30 हुए थे मैं बहार आ गई और खुली हवा खाने लगी हरिया अपनी चारपाई पर लेटा हुआ था उसको देख मैं अपनी हंसी रोक नहीं पाई बहार मंद मंद ठंडा पवन था और उसने अपनी धोती को उठा के अपने शरीर पर ओढ़ लिया था मेरी नजर तभी उसकी लंगोट के अंदर रहे उसके लंड के ऊपर पड़ी उसका लंड उपर से ही कम से कम 7 इंच जितना लग रहा था शायद वोह नींद में ही उत्तेजित हुआ था।
मैंने सहला के लौड़े को खड़ा किया हरिया पहले तो डर ही गया हरिया का लौड़ा मुझे अंदर से जैसे की खिंच रहा था कुछ साल से दबी हुई मेरी चूत की गर्मी जैसे की चूत के होंठो तक आ गई थी मैंने खुद को रोकने के लिए रूम में जाके तकिये के निचे अपना सर रख दिया लेकिन सच बताऊँ दोस्तों मुझे खुली और बंध आँख से सभी तरफ लौड़े ही लौड़े दिख रहे थे काले लौड़े, लम्बे लौड़े, चौड़े लौड़े और बस लौड़े ही लौड़े. मेरा मन मुझे कहे रहा था की लंड सामने हैं ले ले वैसे भी फ़ार्म के अँधेरे और अकेलेपन मैं कौन देखेगा तुझे…!!! हरिया का स्वभाव मुझे पता थी, और बिचारा वोह था भी गंवार इसलिए मेरी हिम्मत जैसे की इकठ्ठा हो गई मैंने तकिया हटाया और मैं हरिया की चारपाई के कोने में जाके बैठ गई मैंने एक लंबी सांस ली और हरिया के लौड़े के ऊपर हाथ रख दिया वाह क्या गर्मी थी इस लंड मे, मैंने जैसे ही उसके उपर हाथ रखा,हरिया थोडा हिला उसने जैसे ही आंखे खोली उसने अपने लंड के उपर मेरा हाथ पाया मैंने बहाना बताते हुए कहा, शेरा मुझे अंदर डर लग रहा हैं, तुम मेरे साथ अंदर आओ ना. देवर बाबू कुछ देर में आ जाएंगे फिर तुम वापस बहार चले आना हरिया आश्चर्य से मेरी तरफ देख के बोला, मालकिन में अपनी बहू को बुलाऊँ वो आपके साथ अंदर रहेगी. मैंने कहाँ, नहीं उसकी नींद मत ख़राब करो, तुम आ जाओ काफी हैं.
हरिया मेरे साथ अंदर आया, उसने पलंग के पास निचे बैठक जमा दी. मैंने उसे कहा हरिया उपर आ जाओ कोई दिक्कत नहीं हैं. वोह कतराते हुए उपर बैठा. मैं वही लेट गई और मैंने जानबूझ के अपने स्तन दिखे इसलिए अपनी चुंदरी को हटा ली थी. हरिया की नजर मेरे स्तन पर पड़ी और मैंने उसकी तरफ देखा हरिया की तरफ मेरी नजर में पूरी लालच भरी थी जिसे वह भी पढ़ रहा था. मैंने उसे कहा की तुम बहार मत जाना जब तक देवर नहीं आते मुझे डर लग रहा हैं और नींद भी आ रही हैं. मैंने हरिया को कहा की मैं पलंग पर लेट जाती हूँ, लेकिन उसे उठने के लिए मैंने मना किया. पलंग सिंगल बेड था और मेरे लेटते ही हरिया की जांघ की साइड पर मेरी जांघ टच होने लगी. मैंने कुछ 2 मिनिट तक आँखे बंध की, हरिया को मैंने आँखे चुपके से थोड़ी खोल के देखा उसने अपना सर पलंग की बेठक पर जमा दिया था और वोह आँखे बंध करके लेट सा गया था मैंने अपना हाथ हलाया और हरिया के टांग के उपर रख दिया, मेरा हाथ अब थोडा आगे गया और हरिया के लंड के उपर चला गया उसका लंड अभी भी गर्म था, हां लेकिन वो थोडा सिकुड़ गया था अब की हरिया हिला लेकिन मैंने अपना हाथ हटाया नहीं, बल्कि मैंने उसके लौड़े को सही तरह से पकड़ लिया।
मैंने जैसे ही उसका लौड़ा दबाया हरिया खड़ा हो गया मैंने भी खड़े होकर उसका लंड दुबारा पकड़ लिया हरिया हक्का बक्का सा लग रहा था वो बहार जाने को उतावला लग रहा था लेकिन मैंने उसे पकड़ के सिने से लगा लिया। इस खेत में मजदूरी करने वाले हरिया की छाती एकदम टाईट थी और उसके मसल बहुत मजबूत थे उसको समझ नहीं आ रहा था की यह सब क्या हो रहा हैं, वोह शर्म की वजह से निचे देख रहा था और मैं उसके लौड़े को दबा रही थी मैंने उसका लौड़ा पकड़ के सहलाना चालू किया और उसका पहाड़ जैसा लंड थोड़ी देर में तो पूरा 12 इंच जितना लंबा हो गया था मैंने उसकी धोती को निकाला और उसका लौड़ा देख के मेरी चूत एकदम से गीली हो गई थी चूत को कब से एक लौड़े की तलाश थी जो उसकी प्यास बुझाय हरिया ने पहली बार नजर उठाई और उसकी नजर में कई सवाल थे मैंने इन सवालो को वही रहने दिया और अपने नाईट सूट की डोरी खोली और अपने स्तन को बहार लाते हुए उसे खोल दिया, हरिया ने नजर उठा के मेरे चुंचे देखे और उसकी नजर वही गड गई मैंने अपने हाथ से उसके हाथ को उठाया और मेरे चुंचो के उपर रख दिया हरिया भी पहेली बार मस्ती में आता दिखा क्यूंकि उसने बड़े ही अजीब तरीके से मेरे चुंचे को दबाया मेरे शरीर में उत्तेजना की लहर दौड़ गई मैंने नाईट सूट को पूरा निकाला और अब मैं केवल एक पेंटी में थी। हरिया को चूत मुहं में दी, मस्त तरीके से चटवाई हरिया अजीब तरीके से मेरे स्तन दबा रहा था, वो जैसे की संतरे का छिलका को नाख़ून मार रहा हो वैसे मेरे स्तन के अंदर अपना अंगूठा दबा रहा था उसका अंदाज अजीब था लेकिन मेरे मजे में कोई कमी नहीं आ रही थी इतने में मैंने हरिया की फटे कपड़े उतार दी और यह मेरे सामने बिलकुल नंगा था मैंने जैसे ही अपनी पेंटी उतारी हरिया मेरी चूत को देखने लगा मैंने चूत को पसारे पलंग में लेट गई मैंने हरिया को कहा,आज मेरी चूत को चूस ले और वोह उसे जोर जोर से चूसने लगा उसकी जबान चूत के होंठो पर घूम रही थी और वोह अपने दांत से चूत के होंठो को हलके हलके काट रहा था मैं तो जैसे की सातवें आसमान पर थी।
मैंने हरिया का लंड हाथ में लिया और उसे मसलने लगी हरिया का लंड बहुत उत्तेजित हो गया था और वोह किसी गर्म लोहे की तरह महसूस हो रहा था मैंने उसके लंड को हिला के जैसे मुठ मारते हैं वैसे हिलाना चालू कर दिया हरिया का लंड सच में बहुत सख्त था हरिया इधर मेरी चूत से बहुत सारा पानी निकाल चूका था, उसके चूसने की स्टाइल ही इतनी उत्तेजक थी मैं भी उसके लंड का स्वाद चूत को चखाने के लिए आतुर थी मैंने उसका लौड़ा हाथ में लिया और उसके सुपाड़े को अपने चूत के होंठो पर रगड़ा हरिया का लंड सच में बहुत ही गर्म लग रहा था, जैसे की अभी चूले से उतारा हों और उसने एक हल्का झटका दे के लौड़े को आधे से ज्यादा चूत के अंदर घुसाया मेरे मुहं से आनदंभरी आवाजे निकलने लगी थी, इतने दिनों के बाद लंड का सुख मेरे लिए स्वर्ग से भी बढ़कर था मैंने अपने हाथ हरिया की गांड पर रखे और उसे अपनी तरफ खिंचा उसनेे झटके धीमे धीमे तीव्र किये और वोह मेरी चूत में अपना लोहा रगड़ने लगा सच कहूँ ,आज इस चुदाई से मेरी चूत में जो उत्तेजना जागी थी ऐसी उत्तेजना मुझे पहले कभी नहीं मिली थी इसलिए मैं भी हरिया को चुदाई में पूरा सहयोग देने लगी और उसके प्रत्येक झटके के सामने मैं भी अपने कुलो को हिला के उसका प्रतिकार करने लगी साथ ही मैं अपनी चूत के होंठो को कस रही थी जिस से उसके लंड को अंदर घर्षण और उत्तेजना मिल सके हरिया मुझे किसी रंडी को चोद रहा हो वैसे ही ठोक रहा था।
कुछ 20 मिनट की चुदाई में तो मैं दो बार झड़ चुकी थी और मेरे चूत का पानी हरिया के लंड के उपर ही आया था, हरिया रुके वही झडप से मेरी ठुकाई करता रहा था मेरे सर और पुरे बदन से पसीना छुट रहा था मैंने हरिया को जोर से पकड़ा और वोह और भी जोर से मुझे ठोकने लगा हरिया का घोड़े जैसा लौड़ा पूरी 35 मिनट के चुदाई के बाद नदी बहाने लगा उसका सारा वीर्य मेरी चूत के अंदर चला गया था मैंने उसे कस के जकड़ा हुआ था, वीर्य चूत की गहराई में लेना मुझे बहुत अच्छा लगता था और मैंने सारा पानी अंदर ही निकलवाया वैसे भी मुझे पता हैं की कोन सी दवाई लुंगी तो गर्भ नहीं रहेगा हरिया ने अपना लंड बहरा निकाला और उसने अपनी धोती उठा के लौड़े को साफ़ किया मैंने भी पेंटी पहन के नाईट सूट वापस पहन लिया हरिया को मैंने अब बहार सोने भेज दिया क्यूंकि देवर और मेरा बेटे के आने का समय हो गया था हरिया इस रात के बाद मुझे नियमित चोदता हैं, हम लोग कभी कभी खेत की फसल के बिच भी चद्दर बिछा के चुदाई करते हैं. मुझे भी इस से कोई खतरा नजर नहीं आता इसलिए मैं उसके लंड से अपनी भूख मिटा लेती हूँ।
धन्यवाद
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