अनजाने में सुहागरात के वो पल
नमस्कार दोस्तौ, मेर नाम शीला है मेरी छोटी उम्र में ही शादी हो गयी थी, मेरे पति मुझसे बहुत बड़े थे सुहागरात के ख्याल से डर लग रहा था ऊपर से मेरे जीजाजी भी कम नहीं थे
पहले में मेरे बारे में बता दू में अजमेर की रहने वाली शादीसुदा 29 साल की औरत हु मेरे 13 साल का लड़का भी हे जो छटी क्लास में पढता हे हम 3 बहने हे में सबसे छोटी हु मेरी सबसे बड़े जीजाजी मुझ पर मरते थे मुझे पता नहीं था बाद में उन्हीने ही बताया था हमारी शादी को काफी साल हो गए थे जब भी जीजाजी अजमेर आते तो मुझसे हंसी मजाक करते थे में मासूम थी सोचती थी में छोटी हु इसलिए मेरा लाड रखते हे इसलिए वे कभी यहाँ वहा हाथ भी रख देते थे तो में ध्यान नहीं देती थी कभी वो मुझे अपनी बाँहों में उठा कर कर मुझे कहते थे अब तुम्हारा वजन बढ़ गया हे वेसे में बहुत दुबली पतली हु
मेरी शादी बचपन में मेरी बहनों के साथ ही कर दी थी जब में शादी का मतलब ही नहीं जानती थी मेरी बड़ी बहिन ही बालिग थी बाकि हम दो बहनों के लिए तो शादी एक खेल ही था में सिर्फ 9 साल की थी जबकि मेरी बहिन 19 की थी बिच वाली बहिन 13 साल की ! उस वक्त हम दोनों बहनों की सिर्फ शादी हुई थी जबकि बड़ी बहन का गौना भी साथ ही हुआ था वो तो ससुराल आने जाने लग गई हम दोनों एक बार जाकर फिर स्कूल पढने जाने लगी हमें तब तक किसी बात का कोई पता नहीं था जीजा जी जीजी के साथ आते हम बहुत खुश होते हंसी मजाक करते मेरी माँ कभी कभी चिढती और कहती अब तुम बड़ी हो रही कोई बच्ची नहीं हो जो अपने जीजा जी से इतनी मजाक करो पर में ध्यान नहीं देती थी ।
मेरी शादी बचपन में मेरी बहनों के साथ ही कर दी थी जब में शादी का मतलब ही नहीं जानती थी मेरी बड़ी बहिन ही बालिग थी बाकि हम दो बहनों के लिए तो शादी एक खेल ही था में सिर्फ 9 साल की थी जबकि मेरी बहिन 19 की थी बिच वाली बहिन 13 साल की ! उस वक्त हम दोनों बहनों की सिर्फ शादी हुई थी जबकि बड़ी बहन का गौना भी साथ ही हुआ था वो तो ससुराल आने जाने लग गई हम दोनों एक बार जाकर फिर स्कूल पढने जाने लगी हमें तब तक किसी बात का कोई पता नहीं था जीजा जी जीजी के साथ आते हम बहुत खुश होते हंसी मजाक करते मेरी माँ कभी कभी चिढती और कहती अब तुम बड़ी हो रही कोई बच्ची नहीं हो जो अपने जीजा जी से इतनी मजाक करो पर में ध्यान नहीं देती थी ।
फिर मेने नवी क्लास पास कर ली तो मेरे ससुराल से समाचार आने लग गए की इसको ससुराल भेजो इसका गौना करो जबकि में उस वक्त 14 साल की थी में मासूम नादान सी ससुराल चली गई उस वक्त मुझे साड़ी पहनना भी नहीं आता था हम राजस्थान में ओढ़नी और कुर्ती कांचली गागरा पहनते हे में भी ये कपडे पहन के चली गई जो मेरे दुबले पतले सरीर पर काफी ढीले ढाले थे मुझे सेक्स की कोई जानकारी नहीं थी हमारा परिवार ऐसा हे इसमें ऐसी बात ही नहीं करते हे न मेरी बड़ी बहन ने कुछ बताया ना ही मेरी माँ ने बाद में मुझे पता चला की मेरी सास ने जल्दी इसलिए की कि में पढ़ रही थी उसका बेटा कम पढ़ा था वो सोच रही थी कि इसे जल्दी ससुराल बुला ले नहीं तो ये इसे छोड़ कर किसी दुसरे पढ़े लिखे के साथ चली जाएगी जबकि हमारे परिवार के संस्कार ऐसे नहीं थे मुझे तो कुछ पता भी नहीं था शादी के कई साल बाद मेने मेरे पति को देखा जब वो गौना लेने आया मुझे वो देख कर मुस्करा रहा था मेने भी चोर नजरों से उसे देखा मोटा सा काला सा ठिगना दिखा कुछ पेट बहार आया सा में अपनी सुन्दरता देख इठला उठी जब में मेरे घर में उसके सामने से निकलती कुछ घुंगट किये हुए टी खीसे निपोर देता मुझे ख़ुशी हुई कि में सुन्दर हु इसका मुझे अभिमान हो गया और में उसके साथ गाड़ी में अपनी ससुराल चल दी गाड़ी में उसके साथ उसके और परिवार वाले भी थे।
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हम शाम को गाँव में पहुँच गए !गाँव पहुँचने के बाद देखा मेरी ससुराल वालों का घर कच्चा ही था एक तरफ कच्चा कमरा एक तरफ कच्ची रसोई और बरामदा टिन का बाकि मैदान में भारी भरकम कपडे और गहने पहने हुई थी मेरे पति 4 भाइयों में सबसे छोटे थे जो अपने 2 भाई भाभी और माँ के साथ रहते थे ससुर जी का पहले ही देहांत हो गया था वहा जाते ही मेरी सास और बड़ी ननद ने मेरा स्वागत किया मुझे खाना खिलाया घर मेहमानों से भरा था मेने पहली बार गुंघट निकल था में परेशान थी मेरी ननद मुझे कमरे में ले गई जिसमे कच्चे आँगन पर ही बिस्तर बिछाये हुए थे और उसने मुझे कहा ये भारी साड़ी जेवर आदि उतार ले हलके कपडे पहन ले अब हम सोयेंगे मेने अपने कपडे उतार कर माँ का दिया हुआ गागरा कुर्ती ओधनी पहन ली स्तन बहुत छोटे थे इसलिए चोली में पहनती नहीं थी गर्मी थी तो चड्डी भी नहीं पहनी और अपनी ननद के साथ सो गई थोड़ी देर में में नींद के आगोश में थी
मेरी कमसिन जवानी उजड़ने वाली थी।
आने वाले खतरे से अनजान में सोई हुई थी अचानक आधी रात को असहनीय दर्द से मेरी नींद खुल गई और में चिल्ला पड़ी चिमनी की मंद रौशनी मेने देखा मेरी ननद गायब हे और मेरे पति मेरी छोटी सी चूत में जिसमे मेने कभी एक ऊँगली भी नहीं गुसाई थी अपना मोटा और लम्बा लंड डाल रहे थे और उन्होंने मेरी चूत में फंसा दिया था में गागरा मेरी कमर पर था बाकि कपडे पहने हुए थे और वो गाँव का गंवार जिसने न तो मुझे जगाया न मुझे सेक्स के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार किया नींद में मेरा गागरा उठाया थुक लगाया और लंड डालने के लिए जबरदस्त धक्का लगा दिया मेरी आँखों से आंसू आ रहे थे और में बकरे की तरह चिल्ला उठी मेरी चीख उस कमरे से बाहर घर में गूंज गई बाहर से मेरी सास की गरजती आवाज आई वो मेरे पति को डांट रही थी की छोटी हे इसे परेशान मत कर मान जा मेरे पति मेरी चीख के साथ ही कूद कर एक तरफ हो गए।
तब मुझे उनका मोटे केले जितना लंड दिखा मेने कभी बड़े आदमी लंड नहीं देखा था छोटे बच्चों की नुनिया ही देखि थी इसलिए मुझे वो डरावना लगा उन्होंने अन्दर से माँ को कहा अब कुछ नहीं करूँगा तू सोजा फिर उन्होंने मेरे आंसू पोंछे मेरी टांगे सुन्न हो रही थी में घबरा रही थी थोड़ी देर वो चुप सोये फिर मेरे पास सरक गए उन्होंने कहा मेने गाँव बहुत लड़कियों के साथ सेक्स किया वो तो नहीं चिल्लाती थी उन्हें क्या पता एक चालू लड़की में और अनजान मासूम सील्पैक लड़की में क्या अंतर होता हे थोड़ी देर में उन्होंने फिर मेरा गागरा उठाना शुरू किया मेने अपने दुबले पतले हाथों से रोकना चाहा उन्होंने अपने मोटे हाथ मेरी दोनों कलाइयाँ पकड़ कर सर के उपर कर दी अपनी भारी टांगो से मेरी टांगे छोडी कर दी फिर से ढेर सारा थूंक अपने लिंग के सुपाडे पर लगाया कुछ मेरी चूत पर में कसमसा रही थी उन्हें धक्का देने की कोशिश कर रही थी पर मेरी दुबली पतली काया उनके भेंसे जेसे शरीर के नीचे दबी थी मेने चिल्ला कर अपनी सास को आवज देनी चाही उसी वक्त उन्होंने मेरे हाथ छोड़ कर मेरा मुंह अपनी हथेली से दबा दिया में गूं गूं ही कर सकी मेरे हाथ काफी देर ऊपर रखने से दुःख रहे थे मेने हाथों से उन्हें धकेलने की नाकाम कोशिश की उनके बोझ से में दब रही थी।
अब उन्होंने आराम से टटोल के मेरी चूत का छेद खोजा जिसे उन्होंने कुछ छोड़ा कर दिया था अपने गीले लिंग का सुपाडा मेरी छोटी सी चूत के छेद पर टिकाया और हाथ के सहारे से अन्दर ठेलने लगे 2-3 बार वो नीचे फिसल गया फिर थोडा सा मेरी चूत में अटक गया मुझे बहुत दर्द हो रहा था जेसे को लोहे की राड डाली जा रही हो जिस छेद को मेने आज तक अपनी अंगुली नहीं चुभाई थी उसमे वो भारी भरकम लंड डाल रहा था मेरे आंसुओं से उसे कोई फर्क नहीं पड़ रहा था वो पूरी बेदर्दी दिखा रहा था और मुस्कुरा था की उसे सील बंद माल मिला जिसकी सील वो तोड़ रहा था
मेरी दोनों टांगो को वो अपने पैर के अंगूठो से दबाये हुए था मेरे उपर वो अधर था उसका लिंग का सुपाडा मेरी चूत में फंसा हुआ था अब उसने एक हाथ को तो मेरे मुंह पर रहने दिया दुसरे हाथ से मेरे कंधे पकडे और जोर का धक्का लगाया लंड 3 इंच और अन्दर सरक गया मेरी सांसे रुकने लगी मेरी आँखे फ़ैल गई फिर उसने थोडा लंड बाहर खिंचा में भी लंड के साथ उठ गई उसने जोर से कंधे को दबाया और जोर से ठाप मारी में दर्द के समुन्दर में डूबती चली गई आधे से ज्यादा लंड मेरी संकरी चूत में फसा हुआ था मेरी चूत से खून आ रहा था पर उन्हें दया नहीं आई वो और में पसीने पसीने थे मुंह से हाथ उन्होंने उठाया नहीं था और फिर उन्होंने आखिरी शोट मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में गुस चूका था
उनका सुपाडा मेरी बच्चेदानी पर ठोकरे मार रहा था में बेहोश हो गई पर दर्द की वजह से वापिस होस आ गया में रो रही थी सिसक रही थी मेरा चेहरा आंसुओं से तर था पर धनाधन धक्के लगा रहे थे मेरे चेहरे से हाथ हटा लिया था मेरे कंधे कभी कमर पकड कर बुरी तरह से चोद रहे 30-40 मिनिट तक उन्होंने धक्के लगाये मेरी चूत चरमरा उठी हड्डियाँ कदकदा उठी मुझे बिलकुल आनंद नहीं आया था और वे मेरी चूत में ढेर सारा वीर्य डालते हुए ढेर हो गए और भेंसे की तरह हांफने लगे में रो रही थी सिसकियाँ भर रही थी मेरी चूत से खून और वीर्य मेरी जांघों से नीचे बह रहा था थोड़ी देर में सुबह हो गई मेरे पति बाहर चले गए मेरी ननद आई उसने मेरी टांगे पूंछी मेरे कपडे सही किये मुझे खड़ा की में लड़खड़ा रही थी वो हाथों का सहारा लेकर पेशाब कराने ले गई मुझे तेज जलन हुई मेने रोते रोते कहा मुझे मेरे गाँव जाना हे उसने मेरी सास ने बहुत मनाया पर में रोती रही चाय नास्ता भी नहीं किया आखिर उन्होंने अस.टी.ड़ी. से मेरे घर फ़ोन किया मुझे मेरे भाई और छोटे वाले जीजाजी लेने आ गए और में अपनी सूजी हुई चूत लेकर मेरे घर रवाना हो गई वापिस कभी न आने की सोच लेकर पर क्या ऐसा संभव हे तो ये अनुभव रहा मेरी सुहागरात का, फिर में दसवी बोर्ड की तय्यारी करने लगी स्कूल जाने लगी।
मेरी दोनों टांगो को वो अपने पैर के अंगूठो से दबाये हुए था मेरे उपर वो अधर था उसका लिंग का सुपाडा मेरी चूत में फंसा हुआ था अब उसने एक हाथ को तो मेरे मुंह पर रहने दिया दुसरे हाथ से मेरे कंधे पकडे और जोर का धक्का लगाया लंड 3 इंच और अन्दर सरक गया मेरी सांसे रुकने लगी मेरी आँखे फ़ैल गई फिर उसने थोडा लंड बाहर खिंचा में भी लंड के साथ उठ गई उसने जोर से कंधे को दबाया और जोर से ठाप मारी में दर्द के समुन्दर में डूबती चली गई आधे से ज्यादा लंड मेरी संकरी चूत में फसा हुआ था मेरी चूत से खून आ रहा था पर उन्हें दया नहीं आई वो और में पसीने पसीने थे मुंह से हाथ उन्होंने उठाया नहीं था और फिर उन्होंने आखिरी शोट मारा और उनका पूरा लंड मेरी चूत में गुस चूका था
उनका सुपाडा मेरी बच्चेदानी पर ठोकरे मार रहा था में बेहोश हो गई पर दर्द की वजह से वापिस होस आ गया में रो रही थी सिसक रही थी मेरा चेहरा आंसुओं से तर था पर धनाधन धक्के लगा रहे थे मेरे चेहरे से हाथ हटा लिया था मेरे कंधे कभी कमर पकड कर बुरी तरह से चोद रहे 30-40 मिनिट तक उन्होंने धक्के लगाये मेरी चूत चरमरा उठी हड्डियाँ कदकदा उठी मुझे बिलकुल आनंद नहीं आया था और वे मेरी चूत में ढेर सारा वीर्य डालते हुए ढेर हो गए और भेंसे की तरह हांफने लगे में रो रही थी सिसकियाँ भर रही थी मेरी चूत से खून और वीर्य मेरी जांघों से नीचे बह रहा था थोड़ी देर में सुबह हो गई मेरे पति बाहर चले गए मेरी ननद आई उसने मेरी टांगे पूंछी मेरे कपडे सही किये मुझे खड़ा की में लड़खड़ा रही थी वो हाथों का सहारा लेकर पेशाब कराने ले गई मुझे तेज जलन हुई मेने रोते रोते कहा मुझे मेरे गाँव जाना हे उसने मेरी सास ने बहुत मनाया पर में रोती रही चाय नास्ता भी नहीं किया आखिर उन्होंने अस.टी.ड़ी. से मेरे घर फ़ोन किया मुझे मेरे भाई और छोटे वाले जीजाजी लेने आ गए और में अपनी सूजी हुई चूत लेकर मेरे घर रवाना हो गई वापिस कभी न आने की सोच लेकर पर क्या ऐसा संभव हे तो ये अनुभव रहा मेरी सुहागरात का, फिर में दसवी बोर्ड की तय्यारी करने लगी स्कूल जाने लगी।
मेने 10वी की परीक्षा दी और गर्मियों की छुट्टियों में फिर ससुराल जाना पड़ा इस बार मेरे पति स्वाभाव कुछ बदला हुआ था वो इतने बेदर्दी से पेश नहीं आये शायद उन्हें ये पता चल गया की ये मेरी ही पत्नी रहेगी में इस बार 4-5 दिन ससुराल में रुकी थी पर वे जब भी चोदते मेरी हालत ख़राब हो जाती पहली चुदाई में ही चूत में सुजन आ गई बहुत ही ज्यादा दर्द होता मुझे बिलकुल आनंद नहीं आता वो रात 7-8 बार मुझे चोदते पर उनकी चुदाई का टाइम 5-6 मिनट रहता रात भर सोने नहीं देते वो मुझे कहते मेने बहु सारी लड़कियों से सेक्स किया हे उन्हें मज़ा आता हे तुम्हे क्यों नहीं आता में मन ही मन में दर गई की कही मुझे कोई बीमारी तो नहीं हे कही में पूर्ण रूप से ओरत हु या नहीं हु
अब में किस से पूछती में सारी सहेलिया तो कुंवारी थी फिर वापिस पीहर आ गई पढने लगी मेरा काम यही था गर्मी की छुटियों में ससुराल जा कर चुदना और फिर वापिस आ कर पढना मेरे पति फेक्टरी में काम पर चले जाते छुट्टियों में आ जाते अब में कॉलेज में प्राइवेट पढने लग गई तब मुझे पता चला की मुझे आनंद क्यूँ नहीं आता हे मेरे पति मुझे सेक्स के लिए तैयार करते नहीं थे सीधे ही चोदने लग जाते थे और मुझे कुछ आनंद आने लगता जब तक वो ढेर हो जाते रात में सेक्स 7-8 बार करते पर वो ही बात रहती
अब में किस से पूछती में सारी सहेलिया तो कुंवारी थी फिर वापिस पीहर आ गई पढने लगी मेरा काम यही था गर्मी की छुटियों में ससुराल जा कर चुदना और फिर वापिस आ कर पढना मेरे पति फेक्टरी में काम पर चले जाते छुट्टियों में आ जाते अब में कॉलेज में प्राइवेट पढने लग गई तब मुझे पता चला की मुझे आनंद क्यूँ नहीं आता हे मेरे पति मुझे सेक्स के लिए तैयार करते नहीं थे सीधे ही चोदने लग जाते थे और मुझे कुछ आनंद आने लगता जब तक वो ढेर हो जाते रात में सेक्स 7-8 बार करते पर वो ही बात रहती
फिर मेने उनको समझाया कुछ मेरा भी ख्याल करो मेरे स्तन दबाओ कुछ हाथ फिराओ अब तक मेने कभी उनके लंड को कभी हाथ भी नहीं लगाया था
अब मेने भी उनके लंड को हाथ में पकड़ा तो वो फुफकार उठा उन्होंने मेरे स्तन दबाये पेट और झांघों पर चुम्बन दिए चूत के तो नजदीक भी नहीं गए मेने भी मेरी जिंदगी में कबी लंड के मुंह नहीं लगाया हे मुझे सोच के ही उबकाई आती हे अबकी बार उन्होंने चोदने का आसन बदला अब तो वो सीधे सीधे हे चोदते थे इस बार उन्होंने मेरी टांगे अपने कंधे पर रखी और लंड गुसा दिया और हचक हचक कर चोदने लगे मेरी टांगे मेरे सर के उपर थी में बिलकुल दोहरी हो गई थी पर चमत्कार हो गया आज मुझे आनंद आ रहा था उनका सुपाडा सीधे मेरी बच्चेदानी पर ठोकर लगा रहा था मुझे लग रही थी पर आनंद बहुत आया इस बार जब उन्होंने अपने माल को मेरी चूत में भरा तो में संतुस्टी थी फिर मेने अपनी टांगे ऊपर करके ही चुदाया मुझे मेरे आनंद का पता चल चूका था फिर मेरे गर्भ ठहर गया नवम्बर में मेरे बेटा हो गया।
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