दफ्तर की वो लड़की
नमस्ते मैं मुंबई में रहने वाला एक साधारण युवक हूँ। उम्मीद है आपको पसंद आएगी। यह उस समय की बात है जब मैं स्नातक का छात्र था और साथ-साथ मैं पार्ट-समय जॉब भी करता था। सुबह 9 से 11 कॉलेज जाता था, फिर वहाँ से जॉब पर जाता था। वहाँ दो लड़कियाँ काम करती थीं। एक पतली थी जिसका नाम रूपा था और दूसरी का नाम जलपा था, वो शादीशुदा थी। ऑफिस में हम तीन लोग ही काम करते थे। लेकिन जलपा के मम्मे बड़े थे तो सब उसे देखते थे। मैं अपने काम पर ध्यान देता था।
काम करते-करते थोड़ा समय बीत गया, वो जलपा मेरे साथ काफी घुल-मिल गई थी। मेरी कोई गर्ल-फ्रेंड नहीं थी, तो वो मुझे छेड़ते रहती थी। उन्हीं दिनों रूपा को एक हफ्ते के लिए गाँव जाना पड़ा और ऑफिस मैं और जलपा ही रह गए थे।
ऑफिस का काम काफी बढ़ गया था तो जलपा ने मुझे कहा- यदि तुम इतवार को आ सकते हो तो आधे दिन में अपना काम निपट जाएगा।
तो मैंने भी ‘हाँ’ भरी कि चलो ऑफिस का काम हो जाएगा। तो सन्डे को मैं सुबह गया, अपना काम करने लगा।
काम करते-करते दोपहर हो गई तो वो बोली- चलो अमित, खाना खा लेते हैं। वैसे भी काम करके तो मैं आधा हो गया था, उस ने मेरी हालत देखते हुए मुस्कुरा कर कहा- चलो अमित, आज मैं तुम्हें खाना खिला देती हूँ। मुझे थोड़ा संकोच हुआ, लेकिन मान देते हुए मैंने ‘हामी’ भरी। तो उसने अपनी चुनरी निकाल दी और जानबूझ कर मेरी तरफ झुक कर बैठ गई। उसके बड़े-बड़े मम्मे बाहर उभर कर दिखाई दे रहे थे, जैसे वो बाहर आना चाहते हों।
मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी लड़की को ऐसे देखा था। मेरा लौड़ा तो खड़ा हो रहा था लेकिन मैंने कण्ट्रोल किया। वो धीरे से मेरे पास आकर बैठ गई और मुझे खिलाने लगी। मेरी हालत और ख़राब हो रही थी, तो उसने मेरे बारे में पूछना शुरू किया, मैंने हँस-हँस कर जवाब दिया।
फिर उसने पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड क्यों नहीं है?
लेकिन मेरे पास इसका कोई जवाब नहीं था, तो मैं चुप ही रहा। वो समझ गई थी और अब तो वो मुझ से चिपक कर बैठ गई और उसके मम्मे मेरे हाथ को छू रहे थे। मुझे कुछ अजीब सा लगा तो मैं दूर हो गया।
उसने पूछा- तूने आज तक किसी लड़की को छुआ नहीं है क्या..!
तो मैंने कहा- नहीं..! वो हँसने लगी, तो मैंने कहा- चलो बाकी का काम भी निपटा लेते हैं। मुझे ज़रा जल्दी जाना है, घर का कुछ काम है।
वो बोली- जल्दी क्या है.. अभी बहुत काम बाकी है, चलो हम गोदाम में सामान को चैक कर लेते हैं। फिर हम गोदाम गए, वहाँ का सामान चैक कर लिया।
तो वो बोली- अभी ऊपर का सामान बाकी है, मैं चैक करती हूँ, तुम मुझे नीचे से पकड़ो।
वो टेबल पर चढ़ गई। मैंने टेबल को नीचे से पकड़ा हुआ था। उसने जो ड्रेस पहनी हुई थी उसमें से उसकी अन्दर की पूरी फिल्म दिख रही थी। उसकी गांड का आकर बड़ा था। अब चूंकि मैंने नीचे से पकड़ रखा था, अचानक टेबल हिली और उसका संतुलन बिगड़ा, वो एक बार तो गिरते-गिरते बची।
मैंने कहा- तुम उतर आओ.. मैं चैक कर लेता हूँ।
तो वो मान गई और मैं टेबल पर चढ़ गया। उसी समय जरा टेबल हिली और उसने अचानक मेरे पैर नीचे से पकड़ लिए और बोली- तुम तसल्ली से चैक करो..!
मैंने जब नीचे देखा तो उसके दो बड़े-बड़े मम्मे मेरे पैरों को छू रहे थे, लेकिन मेरे मन में ख्याल आया कि वो शादीशुदा है… तो भाभी हुई।
मैं सिर को एक बार झटक कर अपने काम में लग गया। तभी अचानक मेरा पैर फिसला और मैं टेबल पर से पास के सोफे पर गिरा और वो मेरे ऊपर आ गिरी। मैं उसके नीचे लेटा हुआ था। उसके दोनों पपीते मेरी छाती से चिपके थे।
मैं हक्का-बक्का था, जैसे ही उठने को हुआ, तो उसने मुझे पकड़ लिया और बोली- कहाँ जा रहे हो.. रुको थोड़ी देर..!
वो मेरे ऊपर थी तो मेरा लंड खड़ा हो गया। अब लौड़ा उठा तो उसको मेरे लौड़े का उठान महसूस हो गया, वो समझ गई और उसने नीचे हाथ ले जाकर मेरे लंड को पैन्ट खोल कर हाथ में पकड़ लिया और हिलाने लगी।
बोली- तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है..! तो मैं बोला- ये क्या कर रही हो भाभी..! ये गलत है..!
तो वो बोली- कुछ भी गलत नहीं है.. जब मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं, तो तुम्हें क्या प्रॉब्लम है..! अब चुपचाप बैठो और मैं जैसा कहती हूँ, वैसा करते जाओ..! वो अब पूरी तरह कामुक हो गई थी। उसने मेरा लंड हिलाते-हिलाते मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
अब धीरे-धीरे मेरे अन्दर की काम वासना जागने लगी और मैं भी थोड़ा-थोड़ा मजे लेने लगा। मैंने उसकी ड्रेस की चैन खोली और पूरी तरह निकाल दी।
तो वो बोली- पहले दुकान अन्दर से बंद करके आओ..! तो मैंने दुकान बंद करके आया और उसकी ब्रा-पैन्टी निकाल दी। उसने भी मेरे पैन्ट और बाकी के कपड़े निकाल दिए।
अब हम दोनों पूरे नंगे थे एक-दूसरे से लिपट गए और मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया और उसके मम्मे दबाने लगा। उस को भी मजा आ रहा था और वो मेरा लंड छोड़ ही नहीं रही थी।
वो बोली- आज के दिन मैं तेरी हूँ.. तू जो चाहे वो कर ले.. बस मेरी प्यास बुझा दो।
मैं लगातार उससे चूमा-चाटी कर रहा था। फिर वो मुझ से बोली- चलो अभी सीधे बैठ जाओ..! और वो मेरी गोद में बैठ गई और मेरे लंड पर सवार हो गई।
कुछ ही देर के घमासान में मैं बोला- मैं झड़ने वाला हूँ..!
तो बोली- रुको झड़ना मत.. मैं तेरा माल पीना चाहती हूँ..! और वो फट से लौड़े से उतर गई और मेरे लंड को चूसने लगी। वो ऐसे चूस रही थी, जैसे कचरा खींचने वाली मशीन कचरा खींचती है। और मैं झड़ गया और उसने पूरा वीर्य मुँह के अन्दर खींच लिया। बहुत ही अनोखा अहसास था मैं बयान नहीं कर सकता..!
मेरी सारी श्रम और झिझक खत्म हो चुकी थी और उसके बाद मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में 3 बार और चोदा। सच में बहुत मज़ा आया।
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