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बंगालन भाभी की जोरदार चुदाई - Bangalan bhabhi ko jamkar choda
बंगालन भाभी की जोरदार चुदाई - Bangalan bhabhi ko jamkar choda - 50 साल की उम्र के भागलदास से जब मैंने कहा कि अंकल मुझे कोई लड़की बताओ जो सेक्स के लिए आसानी से मान जाए और उसे हर तरह का सेक्स करने में मजा भी आता हो. उन्होंने किसी लड़की का नाम तो नहीं बताया पर बातों-बातों में ये जरूर बता दिया कि मेरे लड़के दिन पड़े मजे में कट रहे है. जरा से इशारे पर ही मेरी बहु की चूत हाजिर रहती है- मेरे बेटे के लिए. उनका बेटा कई दिनों से घर बाहर रह रहा है. भागलदास अपनी बहु की चूत के दर्शन कमरे में बने एक झरोखे से करते है. उनसे झरोखे के बारे में जानने के बाद. पहले कुछ दिन रूककर प्लान बनाया.
बहु जी से भाभी भाभी कर मिलने गया. जान-पहचान बढ़ाई. एक शाम उन्होंने बताया आज रात को उनके पति आएंगे.
लंड, चूत और कांड
रात में उन्होंने काफी देर तक इंतजार किया और इंतजार करते-करते सो गई. मैंने झरोखे से कमरे के अंदर गया. वो अकसर कपड़े उतार कर नंगी होकर सोती है. 38 की गांड और 36 के चूचे. मैंने धीरे अपने सारे कपड़े उतारे और नंगा हो धीरे से बिस्तर पर गया. कमरे की बत्ती पहले से बंद थी. मैंने अपना हाथ हल्के से उनके कंधे पर रखा और सहलाने लगा. और धीरे से दूसरा हाथ उनकी कमर पर सहलाते हुए जाँघ पर ले गया. उनकी नींद खुल गई. पर उन्होंने सोचा कि मैं उनका पति हूं. उनहोने मेरा जाँघ पर रखा हाथ हल्के से पकड़ा और उसे अपनी चूत पर ले गई. भागदलास की बहु की चूत में मैंने अपनी बीच की एक उँगली डाल दी. आह…. सी……….. अहँ की हल्की सी आवाज उनके मुंह से निकल पड़ी. मैंने अपना 10 इंच लंड उसकी गांड से सटा दिया. दूसरा हाथ से उनका पहले से हल्का कड़ा चूचा दबाने लगा. उन्होंने अपनी गर्दन हल्की सी दूसरी तरफ को टेढ़ी की और मेरे बालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ खिंचा. मैं मतलब समझ गया और मैंने अपनी जीभ से गर्दन को चाटते हुए उनके मुंह तक पहुँच गया. और चुम्मा-चाटी शुरू हो गई. वो कीस करने में माहिर थी. पूरे जर्मन स्टाइल में मुंह खोल जीभ अंदर तक डाल भी रही थी और अपने मुंह में डालने भी दे रही थी. एक मायने में परफेक्ट कीस. कुछ ही देर बाद बहु की चूत आगे पीछे कर मेरा लण्ड अपनी गाँड में रगड़ने लगी. अब उसे चुदने की मस्ती छा रही थी. मैंने उसे कमर से ही थोड़ा सा पीछे को लचीला होने को कहा और पीछे से ही उसकी बहु की चूत में लंड घूसा दिया. उसकी साँसे तेजी से ऊपर नीचे होने लगी. मैंने पेट के बल लिटा पीठ पर चढ़ गया. उसकी दोनों टाँगे दूर – दूर छिटका दी. अंदर हाथ डालकर दोनों हाथों में दोनों चूचों को दबाने लगा और फूल स्पीड में चोदने लगा. आह.. आह.. खूब पेलो. और पेलो.. इन शब्दो के अलावा उसके मुह से और कुछ भी नहीं निकल रहा था. मैं भागलदास की बड़ी बहू और छोटी बेटी को भी चोदा था. पर इस बहु की चूत का मजा ही कुछ और था. चूत अंदर से काफी गर्म और पूरी गिली थी. जैसे-जैसे वक्त बीत रहा था. चूत और गिली साथ ही मजेदार भी होती जा रही थी. उसने लेटे ही लेटे अपनी गर्दन 90 अंश पर घुमाई और कहा “मुझे की दो”
मैंने उसके मुंह में अपनी पूरी जीभ डाल दी. और दोनों हाथों से कसकर चूचों को दबाने लगा. उसके चूचे अब काफी बड़े और टाइट हो चूके थे. मेरा दिमाग पूरी तरह से पेलम-पेल में तल्लीन हो गया था. अब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था. और चूत में पूरा पूरा घूस भी नहीं पा रहा था.
मैंने उसे पलटने को कहा, उसके पलटते ही मैंने सबसे पहले उसके चूचों का भोग लगाया. उसके निप्पल काफी कड़े और उभरे हुए थे. वो मेरे बालों को हल्के से पकड़ चूचो पर मुंह सटा रही थी. उसके चूचों के बीच में ठीक से साँस भी नहीं ले पा रहा था. उसने अपने दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे अपनी चूत में डाल लिया मेरा 10 इंच का लण्ड पूरा का पूरा अंदर घूस गया. अब भागलदास की सेक्स की मस्ती में चूर बहु की चूत से पूरी तरह नम और पेलम-पेल की मस्ती में मद हो चूकी थी. वो कभी अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिराती. कभी मेरे बालों को से खिंचती. काफी देर के बाद जब मेरा लण्ड थोड़ा सा ढीला पड़ गया तो उसने कहा, ‘लण्ड ढीला हो गया है तुम्हारा और मेरी चूत काफी खुल गई है. कुछ देर मैं लण्ड चूसूँ?’
मैंने हाँ कहने ही वाला था तभी उसने अपनी चूत मेरी तरफ कर दी और मेरे लण्ड पर थूक गिरा चूसने लगी. मैंने उसकी दोनों टाँगो के बीच अपना सिर डाला, जीभ चूत में, और दो उंगलीयाँ गांड डाल दी. भागलदास की बहु की चूत का स्वाद पानी जैसा ही था मतलब फीका सा पर स्वाद कैसा भी हो, चूत चाटने का मजा वो भी लण्ड चूसाते हुए…. शब्दों में लिख पाना बहुत मुश्किल है. उसने दोनों हाथों से लण्ड पकड़कर ऐसा खिंचा और चूसा कि 2 मि. में ही अब मेरा लण्ड फिर से पूरा खड़ा और कड़ा हो गया. मैंने साइड से उसे पकड़ा अपने आप से सटाया, एक टाँग अपने पीछे लिया, एक उँगली गाड में डाली और दूसरी से उसका चूचा कसकर पकड़ा और लंड भागलदास की बहु की चूत में डाल आनंद की प्राप्त होने लगा. उसने अपने दोनों हाथ मेरे पीछे ले मुझे पीठ से पकड़ लिया. मैं उसे चोदने में लगा हुआ था और वो मेरा मुंह चाट रही थी. मैं भी बीच-बीच में ज्यादा ताव चढ़ने पर चूचो को कसकर दबाता या निप्पल को हलके दाँतों से पकड़ कर खिंचता तो वह हल्का कराहती, ….. अँह.. हाँ,… आज बहुत मजा आ रहा है.. ऐसे ही रोज पेला करो ना.
मेरी साँसे उसकी ऐसी बातें सुनकर और तेज, लंड बेकाबू होता जा रहा था. थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा की मैं बीच में ही इस घर की बहु की चूत में ही झ़ड़ जाउंगा तो मैंने उसे जमीन पर खड़ी होने को कहा. और बिसतर पर आगे के बल लेटने को कहा. मैं भी जमीन पर खड़ा हो गया. अंत में खड़े होकर करने से टिकाव थोड़ी देर के लिए बढ़ जाता है और पेलम-पेल थोड़ी और देर तक जारी रखी जा सकती है. भागलदास के बाताई ये तरकिब उसी की बहु की चूत लेने में काम आई . मैंने उसे अगले 5 मिनट तक और चोदा. लेकिन मुझे लग गया कि अब मैं किसी भी वक्त झड़ सकता हूँ. मैंने पूछा कि बाहर झ़ड़ू या अंदर उसने कहा कि पिछली बार की तरह मेरे मुह. मैंने उसे बताया कि मैं किसी भी वक्त झड़ सकता हूं उसके कुछ ही सेकेण्ड बाद ही भागलपूर की बहु की चूत का अंत हो गया मतलब उसका निकल गया. उसने तुरंत अपनी हटा ली लंड में एक बार फी मुंह लगा दिया. कसकर चूसने और दोनों हाथों से खिंचने लगी. अभी तक किसी लड़की या औरत के मुंह में मैं नहीं झड़ा था. मैंने सोचा की वह सिर्फ मुंह में लेकर बाहर थूक देगी. पर जब मैं निकला तो वह पूरा का पूरा अपने मुह में निगल गई. एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने दिया.
जाते समय वो मुझे पहचान गई. पहले तो उसने मुझे एक थप्पड़ मारा बहुत धमकाया लेकिन फिर रात भर उसी के कमरे में रह गांड चोदने को कहा. मैं थप्पड़ को भूल कपड़े उतार फिर से नंगा हो गया.
मैं तो आप सब को उसकी बहु का नाम ही बताना भूल गया. उसका नाम है, शीला. बिस्तर पर मैं और शीला काफी चोदम-चोद कर चूके थे. चूत का मजा लेने के बाद अब बारी थी गांड मारने की. जब उसने मुझे पहचान लिया और कुछ झूठी नौटंकी के बाद दुबारा चूदने का ब्लैक मेल किया.
वैसे मेरे लिए ब्लैक मेल कैसा मैं तो उसे 24 घंटे चोदने को तैयार था. फिलहाल मैं दुबारा पेलम-पेल करने के लिए नंगा हो गया और कमरे की लाइट पहली बार जलाई. 38 इंच की उसकी गोरी गांड ऊपर से हेयर रूमुवर का इस्तेमाल वो जरा से बाल उगने पर तुरंत करती थी. चिकना बदन ऐसा की देखते ही किसी का भी लंड 2 सेकेण्ड में खड़ा हो जाए. अंधेरे में चोदने का मजा हम ले ली चूके थे.
लाइट जलाने के 2-3 मिनट बाद ही शीला मेरे लंड को धीरे सहलाने हम दोनों ही बिस्तर पर बैठे हुए पाँव नीचे लटकाए थे. शीला खड़ी हो सामने से मुझ पर थोड़ा झूकी और मेरे लंड को सहलाते हुए मुझे आराम से कीस करने लगी. मैं भी उसके दोनों निप्पलों को पकड़ हल्के से खिंचने और चूचों को दबाने लगा. कुछ ही सेकेण्ड बाद मेरा लण्ड तेजी से खड़ा होने लगा. मैं दोनों हाथ उसकी गांड पर ले गया. उन्हें सहलाने, मसलने लगा. उसकी गांड गोरी चिकनी और बीना बालों के तो थी ही पर छूने में काफी मुलायम और थूलथूल भी थी जैसे की किसी छोटे बच्चे की होती है.
शीला, “बिस्तर पर बहुत चोदम-चोद हो गई. बाथरूम में चल.”
वो आगे-आगे मैं पीछे-पीछे. बाथरूम की लाइट जलाई सभी सावर खोल दिए. और भींगने लगी. मैं बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा हो देख अपने पर थोड़ा काबू करने की कोशिश कर रहा था, सोचा थोड़ा जेनटलमेन जैसा आराम से पेश आऊ. पर उसका भीगना देख कर तो अच्छे-अच्छों का जानवर जाग जाए और मैं तो एक कुँवारा लड़का था.
मैं लपका, उसे पीछे से पकड़ा, दोनों हाथों में उंगलियों में उंगलियां डाल अपना लंड उसकी गांड से सटा रगड़ने लगा.
हम दोनों की साँसे तेजी से चलने लगी. मैं एक हाथ उसके हाथ से निकाल धीरे से उसकी गांड में डालने लगा. पर उसकी गांड बहुत कसी थी.
मैंने पूछा, “क्या तेरे पति ने तेरी गांड पहले कभी नहीं मारी.”
शीला, “ना, उसे गांड मारना पसंद नहीं है.”
मैं, “चूतिया है क्या”. हम दोनों हँसने लगे. शीला हल्का सा ऊपर से तिरछी हो मुझे कीस करने लगी. मैंने जोश में एक बार उसकी गांड में लंड डालने की कोशिश की पर बात नहीं बनी. झुंझलाकर मैंने उसे झटक दिया.
मैं, “ थोड़ी ढीली तो कर, इतना टाइट करके रखेगी तो अंदर कैसे डालूँगा.”
शीला ने शावर बंद किया और मेरे मेरे लंड और अपनी गांड को एक तौलिये से हल्के से पोंछा. बाथरूम में से ही साबून रखने वाली आलमारी से एक गाढ़ा तेल वाला कोई ट्यूब निकाला. थोड़ा सा मेरी उँगली पर दिया थोड़ा सा मेरे लंड पर लगाया.
शीला, “उँगली वाला मेरी गांड में डाल के अंदर लगा.” एक दो मिनट के बाद उँगली गांड में घुसने लगी. उस गाढ़े तेल के असर से बड़ी जल्दी ही छेद बड़ी जल्दी ढीला होने लगा. और काफी चिकना भी हो गया.
बहु की चूत के बाद उसकी गांड की बारी
मैंने अब दुबारा लंड उसकी गांड में डालने की कोशिश की. पहली बार में ही मेरा लंड 1 इंच लगभग अंदर चला गया. मेरा लंड पहली बार किसी गांड के मजे ले रहा था. तेल की वजह से गांड थोड़ी गर्म महसूस हो रही थी. उसने दुबारा शावर चालू कर मेरे गर्दन पीछे से हाथ डाल पकड़ एक पैर नल पर रख दिया. शुरू में मैंने धीरे-धीरे चोदा. जब लंड पूरी तरह अंदर जाने-आने लगा. तब शावर में भींगते जीभ से एक दूसरे को चाटते हुए जोरों चोदने लगा. मस्त हो वो पीछे को थोड़ा झुल गई. तो मैंने चूचे का भोग लगाया. शावर झिलझिल गिरते हुए पानी गिला होता चूचा और हल्के गेहुए रंग के निप्पल को मुंह में भर कर चूसने, दाँतों से हल्के से निप्पल को खिंचने का मजा ही कुछ और है. मैं जब भी उसके चूचों को पूरा जोर से खिंचता या दातों से हल्के चबाता तो वह आह.. ऊं.. ऊह.. करने लगती. मेरे पीठ पर अपने नाखुनों से हल्के खरोंचती और रह रह कर कहती, “मैं तुझसे रोज अपनी मरवाऊंगी. जितनी बार बोलेगा उतनी बार, बस इसी तरह ऐसे ही मुझे रोज चोदने आ जाया कर.”
उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा लंड और खड़ा, कड़ा, और बड़ा हुआ जा रहा था. मैं बेकाबू सा हो किसी पार्नस्टार की स्पीड से चोदने लगा. गति बढ़ने पर शीला मुझसे दुबारा पीठ के बल लिपट गई. मेरे दोनों हाथ पकड़ अपने चूचों पर रख दिया. एक थोड़ा ऊँचे से पीढे पर खड़ी हो अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया. अब मेरे दोनों हाथ उसके चूचों को मसलने में लगे थे. लंड भी चोद के मजे ले रहा था. और जीभ में जीभ फंसाए मुंह कीस करने में. ऊपर से शावर का हल्का ठण्डा पानी और नीचे पानी लिप्टे बदन एक दूसरे को गर्मी दे रहे थे.
पहले से शादी-शुदा किसी औरत को चोदने में इतना मजा आ सकता है, मैंने कभी सोचा भी नहीं था. इस तरह पेलमपेल करते हुए हमें अब 15 मिनट से भी ज्यादा हो गया. और मैं थोड़ा धिमा पड़ने लगा. ये बात वो समझ गई. शीला हटी. मेरा हाथ पकड़ा कमरे में दुबारा ले गई, मुझे हल्के हाथों धक्का दे जमीन पर लिटा और मेरे ऊपर चढ़ गई. लंड चूत में घूसा लिया. काफी देर से गांड चोदने के कारण हल्की ढीली हो गई थी और चूत थोड़ी सी उठ गई थी. उसमें से अंदर का बेस्वादा वाला फीका पानी बाहर बह रहा था. चूत अंदर से पूरी नम थी. चोदते रहने का मजा तो है पर चूदने का मजा कुछ और है. रह-रह कर वह लंड चूत और गांड दोनों में डाल रही थी. पर ज्यादा उत्तेजना से चूत में मामला ज्यादा देर तक टिक न सका और उसका सारा सफेदा मेरे लण्ड पर ही गिर गया. उसने अपना सफेदा हटाए बिना ही लंड पीछे डाल लिया. और धका-धक ऊपर-नीचे कर चोदने लगी. कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर पूरा लेट गई. अब हम दोनों के सीने एक दूसरे से चिपके थे, मुझे अब पता चला की वह कितनी भारी है. थोड़ी देर के लिए तो मेरी साँस ही रूक सी गई थी. लेकिन फिर हल्का सा वज़न सहने की आदत सी हो गई. उसने बदमाशी हरकते दिखाते हुए अपने एक हाथ से मेरा मुंह बंद किया और जीभ से मेरा पूरा मुंह चुमने और चाटने लगी. मेरी कामुक्ता भी अब चरम पर पहुँच सी गई थी. मैं कुछ और मिनट ही टीक सका. और कुछ देर बाद में ही झड़ गया. तब तक वह भी थककर शांत हो गई. मैंने उसे काफी देर तक उसे अपने ऊपर ही लिटाए रखा.
सेक्स के बाद साथी को अपने ऊपर लिटाए रखने में या उसके ऊपर लेटे रखने में अजीब सी ही राहत मिलती है.
काफी देर बीतने के बाद उसने कहा, “एक बार और करोगे.”
मैंने कहा, “तेरा पति एक महीने से घर नहीं आया तो सारी प्यास आज ही बुझा लेगी क्या?”
शीला, “करना है या नहीं?”
मैंने कहा, “मुझे क्या मैं तो सारी रात, हर रात चोदने को तैयार हुए.”
शीला तो चल अबके डायनिंग टेबल पर करते है.
और हम कमरे से बाहर टेबल की और चल दिए. भागलदास की बहु की चूत मारने में जितना मजा आया उस से कही ज्यादा उसकी गांड में लंड देने से आया था….!
बहु जी से भाभी भाभी कर मिलने गया. जान-पहचान बढ़ाई. एक शाम उन्होंने बताया आज रात को उनके पति आएंगे.
लंड, चूत और कांड
रात में उन्होंने काफी देर तक इंतजार किया और इंतजार करते-करते सो गई. मैंने झरोखे से कमरे के अंदर गया. वो अकसर कपड़े उतार कर नंगी होकर सोती है. 38 की गांड और 36 के चूचे. मैंने धीरे अपने सारे कपड़े उतारे और नंगा हो धीरे से बिस्तर पर गया. कमरे की बत्ती पहले से बंद थी. मैंने अपना हाथ हल्के से उनके कंधे पर रखा और सहलाने लगा. और धीरे से दूसरा हाथ उनकी कमर पर सहलाते हुए जाँघ पर ले गया. उनकी नींद खुल गई. पर उन्होंने सोचा कि मैं उनका पति हूं. उनहोने मेरा जाँघ पर रखा हाथ हल्के से पकड़ा और उसे अपनी चूत पर ले गई. भागदलास की बहु की चूत में मैंने अपनी बीच की एक उँगली डाल दी. आह…. सी……….. अहँ की हल्की सी आवाज उनके मुंह से निकल पड़ी. मैंने अपना 10 इंच लंड उसकी गांड से सटा दिया. दूसरा हाथ से उनका पहले से हल्का कड़ा चूचा दबाने लगा. उन्होंने अपनी गर्दन हल्की सी दूसरी तरफ को टेढ़ी की और मेरे बालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ खिंचा. मैं मतलब समझ गया और मैंने अपनी जीभ से गर्दन को चाटते हुए उनके मुंह तक पहुँच गया. और चुम्मा-चाटी शुरू हो गई. वो कीस करने में माहिर थी. पूरे जर्मन स्टाइल में मुंह खोल जीभ अंदर तक डाल भी रही थी और अपने मुंह में डालने भी दे रही थी. एक मायने में परफेक्ट कीस. कुछ ही देर बाद बहु की चूत आगे पीछे कर मेरा लण्ड अपनी गाँड में रगड़ने लगी. अब उसे चुदने की मस्ती छा रही थी. मैंने उसे कमर से ही थोड़ा सा पीछे को लचीला होने को कहा और पीछे से ही उसकी बहु की चूत में लंड घूसा दिया. उसकी साँसे तेजी से ऊपर नीचे होने लगी. मैंने पेट के बल लिटा पीठ पर चढ़ गया. उसकी दोनों टाँगे दूर – दूर छिटका दी. अंदर हाथ डालकर दोनों हाथों में दोनों चूचों को दबाने लगा और फूल स्पीड में चोदने लगा. आह.. आह.. खूब पेलो. और पेलो.. इन शब्दो के अलावा उसके मुह से और कुछ भी नहीं निकल रहा था. मैं भागलदास की बड़ी बहू और छोटी बेटी को भी चोदा था. पर इस बहु की चूत का मजा ही कुछ और था. चूत अंदर से काफी गर्म और पूरी गिली थी. जैसे-जैसे वक्त बीत रहा था. चूत और गिली साथ ही मजेदार भी होती जा रही थी. उसने लेटे ही लेटे अपनी गर्दन 90 अंश पर घुमाई और कहा “मुझे की दो”
मैंने उसके मुंह में अपनी पूरी जीभ डाल दी. और दोनों हाथों से कसकर चूचों को दबाने लगा. उसके चूचे अब काफी बड़े और टाइट हो चूके थे. मेरा दिमाग पूरी तरह से पेलम-पेल में तल्लीन हो गया था. अब मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था. और चूत में पूरा पूरा घूस भी नहीं पा रहा था.
मैंने उसे पलटने को कहा, उसके पलटते ही मैंने सबसे पहले उसके चूचों का भोग लगाया. उसके निप्पल काफी कड़े और उभरे हुए थे. वो मेरे बालों को हल्के से पकड़ चूचो पर मुंह सटा रही थी. उसके चूचों के बीच में ठीक से साँस भी नहीं ले पा रहा था. उसने अपने दूसरे हाथ से मेरा लंड पकड़ा और उसे अपनी चूत में डाल लिया मेरा 10 इंच का लण्ड पूरा का पूरा अंदर घूस गया. अब भागलदास की सेक्स की मस्ती में चूर बहु की चूत से पूरी तरह नम और पेलम-पेल की मस्ती में मद हो चूकी थी. वो कभी अपने दोनों हाथ मेरी पीठ पर फिराती. कभी मेरे बालों को से खिंचती. काफी देर के बाद जब मेरा लण्ड थोड़ा सा ढीला पड़ गया तो उसने कहा, ‘लण्ड ढीला हो गया है तुम्हारा और मेरी चूत काफी खुल गई है. कुछ देर मैं लण्ड चूसूँ?’
मैंने हाँ कहने ही वाला था तभी उसने अपनी चूत मेरी तरफ कर दी और मेरे लण्ड पर थूक गिरा चूसने लगी. मैंने उसकी दोनों टाँगो के बीच अपना सिर डाला, जीभ चूत में, और दो उंगलीयाँ गांड डाल दी. भागलदास की बहु की चूत का स्वाद पानी जैसा ही था मतलब फीका सा पर स्वाद कैसा भी हो, चूत चाटने का मजा वो भी लण्ड चूसाते हुए…. शब्दों में लिख पाना बहुत मुश्किल है. उसने दोनों हाथों से लण्ड पकड़कर ऐसा खिंचा और चूसा कि 2 मि. में ही अब मेरा लण्ड फिर से पूरा खड़ा और कड़ा हो गया. मैंने साइड से उसे पकड़ा अपने आप से सटाया, एक टाँग अपने पीछे लिया, एक उँगली गाड में डाली और दूसरी से उसका चूचा कसकर पकड़ा और लंड भागलदास की बहु की चूत में डाल आनंद की प्राप्त होने लगा. उसने अपने दोनों हाथ मेरे पीछे ले मुझे पीठ से पकड़ लिया. मैं उसे चोदने में लगा हुआ था और वो मेरा मुंह चाट रही थी. मैं भी बीच-बीच में ज्यादा ताव चढ़ने पर चूचो को कसकर दबाता या निप्पल को हलके दाँतों से पकड़ कर खिंचता तो वह हल्का कराहती, ….. अँह.. हाँ,… आज बहुत मजा आ रहा है.. ऐसे ही रोज पेला करो ना.
मेरी साँसे उसकी ऐसी बातें सुनकर और तेज, लंड बेकाबू होता जा रहा था. थोड़ी देर बाद जब मुझे लगा की मैं बीच में ही इस घर की बहु की चूत में ही झ़ड़ जाउंगा तो मैंने उसे जमीन पर खड़ी होने को कहा. और बिसतर पर आगे के बल लेटने को कहा. मैं भी जमीन पर खड़ा हो गया. अंत में खड़े होकर करने से टिकाव थोड़ी देर के लिए बढ़ जाता है और पेलम-पेल थोड़ी और देर तक जारी रखी जा सकती है. भागलदास के बाताई ये तरकिब उसी की बहु की चूत लेने में काम आई . मैंने उसे अगले 5 मिनट तक और चोदा. लेकिन मुझे लग गया कि अब मैं किसी भी वक्त झड़ सकता हूँ. मैंने पूछा कि बाहर झ़ड़ू या अंदर उसने कहा कि पिछली बार की तरह मेरे मुह. मैंने उसे बताया कि मैं किसी भी वक्त झड़ सकता हूं उसके कुछ ही सेकेण्ड बाद ही भागलपूर की बहु की चूत का अंत हो गया मतलब उसका निकल गया. उसने तुरंत अपनी हटा ली लंड में एक बार फी मुंह लगा दिया. कसकर चूसने और दोनों हाथों से खिंचने लगी. अभी तक किसी लड़की या औरत के मुंह में मैं नहीं झड़ा था. मैंने सोचा की वह सिर्फ मुंह में लेकर बाहर थूक देगी. पर जब मैं निकला तो वह पूरा का पूरा अपने मुह में निगल गई. एक बूंद भी बाहर नहीं गिरने दिया.
जाते समय वो मुझे पहचान गई. पहले तो उसने मुझे एक थप्पड़ मारा बहुत धमकाया लेकिन फिर रात भर उसी के कमरे में रह गांड चोदने को कहा. मैं थप्पड़ को भूल कपड़े उतार फिर से नंगा हो गया.
मैं तो आप सब को उसकी बहु का नाम ही बताना भूल गया. उसका नाम है, शीला. बिस्तर पर मैं और शीला काफी चोदम-चोद कर चूके थे. चूत का मजा लेने के बाद अब बारी थी गांड मारने की. जब उसने मुझे पहचान लिया और कुछ झूठी नौटंकी के बाद दुबारा चूदने का ब्लैक मेल किया.
वैसे मेरे लिए ब्लैक मेल कैसा मैं तो उसे 24 घंटे चोदने को तैयार था. फिलहाल मैं दुबारा पेलम-पेल करने के लिए नंगा हो गया और कमरे की लाइट पहली बार जलाई. 38 इंच की उसकी गोरी गांड ऊपर से हेयर रूमुवर का इस्तेमाल वो जरा से बाल उगने पर तुरंत करती थी. चिकना बदन ऐसा की देखते ही किसी का भी लंड 2 सेकेण्ड में खड़ा हो जाए. अंधेरे में चोदने का मजा हम ले ली चूके थे.
लाइट जलाने के 2-3 मिनट बाद ही शीला मेरे लंड को धीरे सहलाने हम दोनों ही बिस्तर पर बैठे हुए पाँव नीचे लटकाए थे. शीला खड़ी हो सामने से मुझ पर थोड़ा झूकी और मेरे लंड को सहलाते हुए मुझे आराम से कीस करने लगी. मैं भी उसके दोनों निप्पलों को पकड़ हल्के से खिंचने और चूचों को दबाने लगा. कुछ ही सेकेण्ड बाद मेरा लण्ड तेजी से खड़ा होने लगा. मैं दोनों हाथ उसकी गांड पर ले गया. उन्हें सहलाने, मसलने लगा. उसकी गांड गोरी चिकनी और बीना बालों के तो थी ही पर छूने में काफी मुलायम और थूलथूल भी थी जैसे की किसी छोटे बच्चे की होती है.
शीला, “बिस्तर पर बहुत चोदम-चोद हो गई. बाथरूम में चल.”
वो आगे-आगे मैं पीछे-पीछे. बाथरूम की लाइट जलाई सभी सावर खोल दिए. और भींगने लगी. मैं बाथरूम के दरवाजे पर खड़ा हो देख अपने पर थोड़ा काबू करने की कोशिश कर रहा था, सोचा थोड़ा जेनटलमेन जैसा आराम से पेश आऊ. पर उसका भीगना देख कर तो अच्छे-अच्छों का जानवर जाग जाए और मैं तो एक कुँवारा लड़का था.
मैं लपका, उसे पीछे से पकड़ा, दोनों हाथों में उंगलियों में उंगलियां डाल अपना लंड उसकी गांड से सटा रगड़ने लगा.
हम दोनों की साँसे तेजी से चलने लगी. मैं एक हाथ उसके हाथ से निकाल धीरे से उसकी गांड में डालने लगा. पर उसकी गांड बहुत कसी थी.
मैंने पूछा, “क्या तेरे पति ने तेरी गांड पहले कभी नहीं मारी.”
शीला, “ना, उसे गांड मारना पसंद नहीं है.”
मैं, “चूतिया है क्या”. हम दोनों हँसने लगे. शीला हल्का सा ऊपर से तिरछी हो मुझे कीस करने लगी. मैंने जोश में एक बार उसकी गांड में लंड डालने की कोशिश की पर बात नहीं बनी. झुंझलाकर मैंने उसे झटक दिया.
मैं, “ थोड़ी ढीली तो कर, इतना टाइट करके रखेगी तो अंदर कैसे डालूँगा.”
शीला ने शावर बंद किया और मेरे मेरे लंड और अपनी गांड को एक तौलिये से हल्के से पोंछा. बाथरूम में से ही साबून रखने वाली आलमारी से एक गाढ़ा तेल वाला कोई ट्यूब निकाला. थोड़ा सा मेरी उँगली पर दिया थोड़ा सा मेरे लंड पर लगाया.
शीला, “उँगली वाला मेरी गांड में डाल के अंदर लगा.” एक दो मिनट के बाद उँगली गांड में घुसने लगी. उस गाढ़े तेल के असर से बड़ी जल्दी ही छेद बड़ी जल्दी ढीला होने लगा. और काफी चिकना भी हो गया.
बहु की चूत के बाद उसकी गांड की बारी
मैंने अब दुबारा लंड उसकी गांड में डालने की कोशिश की. पहली बार में ही मेरा लंड 1 इंच लगभग अंदर चला गया. मेरा लंड पहली बार किसी गांड के मजे ले रहा था. तेल की वजह से गांड थोड़ी गर्म महसूस हो रही थी. उसने दुबारा शावर चालू कर मेरे गर्दन पीछे से हाथ डाल पकड़ एक पैर नल पर रख दिया. शुरू में मैंने धीरे-धीरे चोदा. जब लंड पूरी तरह अंदर जाने-आने लगा. तब शावर में भींगते जीभ से एक दूसरे को चाटते हुए जोरों चोदने लगा. मस्त हो वो पीछे को थोड़ा झुल गई. तो मैंने चूचे का भोग लगाया. शावर झिलझिल गिरते हुए पानी गिला होता चूचा और हल्के गेहुए रंग के निप्पल को मुंह में भर कर चूसने, दाँतों से हल्के से निप्पल को खिंचने का मजा ही कुछ और है. मैं जब भी उसके चूचों को पूरा जोर से खिंचता या दातों से हल्के चबाता तो वह आह.. ऊं.. ऊह.. करने लगती. मेरे पीठ पर अपने नाखुनों से हल्के खरोंचती और रह रह कर कहती, “मैं तुझसे रोज अपनी मरवाऊंगी. जितनी बार बोलेगा उतनी बार, बस इसी तरह ऐसे ही मुझे रोज चोदने आ जाया कर.”
उसकी ऐसी बातें सुनकर मेरा लंड और खड़ा, कड़ा, और बड़ा हुआ जा रहा था. मैं बेकाबू सा हो किसी पार्नस्टार की स्पीड से चोदने लगा. गति बढ़ने पर शीला मुझसे दुबारा पीठ के बल लिपट गई. मेरे दोनों हाथ पकड़ अपने चूचों पर रख दिया. एक थोड़ा ऊँचे से पीढे पर खड़ी हो अपना सिर मेरे कंधे पर रख दिया. अब मेरे दोनों हाथ उसके चूचों को मसलने में लगे थे. लंड भी चोद के मजे ले रहा था. और जीभ में जीभ फंसाए मुंह कीस करने में. ऊपर से शावर का हल्का ठण्डा पानी और नीचे पानी लिप्टे बदन एक दूसरे को गर्मी दे रहे थे.
पहले से शादी-शुदा किसी औरत को चोदने में इतना मजा आ सकता है, मैंने कभी सोचा भी नहीं था. इस तरह पेलमपेल करते हुए हमें अब 15 मिनट से भी ज्यादा हो गया. और मैं थोड़ा धिमा पड़ने लगा. ये बात वो समझ गई. शीला हटी. मेरा हाथ पकड़ा कमरे में दुबारा ले गई, मुझे हल्के हाथों धक्का दे जमीन पर लिटा और मेरे ऊपर चढ़ गई. लंड चूत में घूसा लिया. काफी देर से गांड चोदने के कारण हल्की ढीली हो गई थी और चूत थोड़ी सी उठ गई थी. उसमें से अंदर का बेस्वादा वाला फीका पानी बाहर बह रहा था. चूत अंदर से पूरी नम थी. चोदते रहने का मजा तो है पर चूदने का मजा कुछ और है. रह-रह कर वह लंड चूत और गांड दोनों में डाल रही थी. पर ज्यादा उत्तेजना से चूत में मामला ज्यादा देर तक टिक न सका और उसका सारा सफेदा मेरे लण्ड पर ही गिर गया. उसने अपना सफेदा हटाए बिना ही लंड पीछे डाल लिया. और धका-धक ऊपर-नीचे कर चोदने लगी. कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर पूरा लेट गई. अब हम दोनों के सीने एक दूसरे से चिपके थे, मुझे अब पता चला की वह कितनी भारी है. थोड़ी देर के लिए तो मेरी साँस ही रूक सी गई थी. लेकिन फिर हल्का सा वज़न सहने की आदत सी हो गई. उसने बदमाशी हरकते दिखाते हुए अपने एक हाथ से मेरा मुंह बंद किया और जीभ से मेरा पूरा मुंह चुमने और चाटने लगी. मेरी कामुक्ता भी अब चरम पर पहुँच सी गई थी. मैं कुछ और मिनट ही टीक सका. और कुछ देर बाद में ही झड़ गया. तब तक वह भी थककर शांत हो गई. मैंने उसे काफी देर तक उसे अपने ऊपर ही लिटाए रखा.
सेक्स के बाद साथी को अपने ऊपर लिटाए रखने में या उसके ऊपर लेटे रखने में अजीब सी ही राहत मिलती है.
काफी देर बीतने के बाद उसने कहा, “एक बार और करोगे.”
मैंने कहा, “तेरा पति एक महीने से घर नहीं आया तो सारी प्यास आज ही बुझा लेगी क्या?”
शीला, “करना है या नहीं?”
मैंने कहा, “मुझे क्या मैं तो सारी रात, हर रात चोदने को तैयार हुए.”
शीला तो चल अबके डायनिंग टेबल पर करते है.
और हम कमरे से बाहर टेबल की और चल दिए. भागलदास की बहु की चूत मारने में जितना मजा आया उस से कही ज्यादा उसकी गांड में लंड देने से आया था….!
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