Chut aur Gaand ki chudaai
मैंने झट से गाउन उठा कर पहना,
वहाँ बिखरे साड़ी, कपड़े उठा कर
छिपाए, बाल ठीक किए,
दरवाजा खोला तो सामने श्रेया !
सरप्राइज़.. श्रेया मेरी पेईंग गैस्ट ! श्रेया मेरी पेईंग गैस्ट कम और
सहेली ज्यादा है ! अपने घर पर उसे भी अच्छा नहीं लगा,
वहाँ मन नहीं लगा तो तीन दिन
पहले ही आ गई। उसे मेरी बहुत याद
आ रही थी। सफ़र से आई थी तो साथ ही नहाने
चली गई। उसके बाथरूम में जाते ही मैं
कम्प्यूटर पर बैठ गई अपनी आज
बीती लिखने ! श्रेया नहा कर आई तो मुझे कम्प्यूटर
पर कुछ करते देख ! वो मेरी आँखों में देखने
लगी तो मेरी हंसी छूट गई। उसने कहा- मधुरेखा, मैं समझ रही हूँ,
कहीं यह आपका ही चमत्कार
तो नहीं? असल में उससे मैं कुछ नहीं छुपाती हूँ,
मैंने सब सच सच बता दिया। उसे
तो यकीन ही नहीं हुआ
कि मेरी जैसी अच्छे खानदान
की बहू अपनी लज्जा त्याग कर
इतना बड़ा कारनामा कर सकती है.. अब मैं उसे कह रही थी कि और उसे विश्वास
नहीं हो रहा था, वो मान
नहीं रही थी। फ़िर मैंने जब उसे अपना गाउन उतार
कर अपनी दाईं चूची पर मोम गिरने
से लाल हुई जगह दिखाई, जले
का हल्का सा निशान
दिखाया तो वो हैरान रह गई.. पर अब
तक मैंने ना उसे दूध वाले के साथ की अपनी हरकत के बारे में कुछ
कहा था, ना चाँदी के गिलास के बारे
में ! अच्छा हुआ कि उसने फ्रीज़र में
उसे नहीं देखा... मेरी चूची देख कर उसे मेरी चूत में
अभी भी बर्फ़ का असर बरकरार था,
मुझे लग
रहा था कि अभी भी मेरी चूत में कुछ
मोटा लण्ड जैसा फ़ंसा हुआ है, जैसे मैं अभी भी चुद रही हूँ। अभी तो मैंने यह नमूना ही करके
देखा था, रात को गिलास
वाली मोटी लम्बी बर्फ़ को अंदर
डाल कर हाथ में मोमबत्ती लेकर छत
पर घूमना बाकी था ! अब श्रेया से कैसे
कहूँ कि आज मुझे ये करतब करना है। वैसे मेरी हिम्मत भी नहीं थी आज
रात का तय कारनामा करने की, मैंने
आज के लिये इसे टालना ही उचित
समझा, शायद कल यह कर सकूँ ! अब
भी ऐसा लग रहा था कि अंदर बर्फ़ है
पर इससे एक फ़ायदा तो हुआ, मेरी धुल कर साफ हो गई पानी टपक टपक कर.. श्रेया अपने घर से दीवाली का ढेर
सारा सामान लाई थी, खाने पीने
का काफ़ी सामान था, उसने कहा- मधु
आंटी, अब खाना मत बनाना, इसी में
से कुछ खा पी लेंगे ! अब तो बस
मस्ती करते हैं। रात में हमने खूब बातें की, अब मैं सोच
रही थी कि अगर अब कोई
कारनामा हम दोनों मिल कर करें
दिन में तो बहुत मज़ा आएगा। कुछ ऐसा गुल खिलाएँ जिसमें दर्द
भी हो मज़ा भी, जिसे हम
दोनों साथ हों, वो भी मेरे साथ करे ! लेकिन क्या वो मेरी बात के लिए
राजी हो जाएगी? मैं तो यह चाह
रही थी कि श्रेया खुद कहे कुछ
ऐसा करने को ! इसके लिए तो फ़िर अपने
उन्हीं मित्र की शरण में जाना था। श्रेया बहुत थकी थी इसलिए
जल्दी सो गई पर मुझे अब भी मुझे
मेरी चूत सुन्न ही लग रही थी। पर
सच में बड़ा ही मज़ा आया, एक
छोटा सा आइस क्यूब जो शरबत में
डाला तो उसकी कोई हैसियत नहीं पर जब अंदर जाता है..
तो मेरी जैसी इतनी बड़ी औरत
को भी कैसे ज़मीन पर लोटने पर
मजबूर कर दिया। मैं तो जमीन पर लोट रही थी, पैर
पटक रही थी, बर्फ़ को निकालने
का भरसक प्रयास कर रही थी पर
नहीं निकल रहा था, ऐसा लग
रहा था कि किसी ने मेरे अंदर लण्ड
फ़ंस गया या एकदम किसी ने मुझे बड़े लौड़े से बेरहमी से चोद दिया हो !
बता ही नहीं सकती कि कितनी
तड़प थी मुझमें ! मैंने कई बार खुद के
ही होंठ चबाए,
अँगुलियाँ सिकौड़ी पैर पटके.. कसम
से अगर कोई मुझे उस वक्त
देखता तो ऐसा लगता मुझमें नागिन आ गई हो, श्री देवी से
भी ज़्यादा छटपटाहट मैंने की होगी।
ऐसा लग
रहा था कि जलती मोमबत्ती अंदर
डाल लूं तो सारी बर्फ़ पिंघल
जायेगी। आज पहली बार मैं हारने जा रही थी,
मैंने जो ठाना था, उसका ट्रायल करने
के बाद मुझ में हिम्मत
नहीं थी कि मैं उसे पूरा करूँ। आज
ऐसा लगा कि खुद को सजा दूँ। मैं एक
मोमबत्ती और माचिस लेकर बाथरूम में गई, मोमबत्ती जलाई और
अपनी चूची पर जानबूझ कर मोम
गिराना चाहा पर ना गिरा सकी, हाथ
काम्प रहे थे... हिम्मत ही नहीं हुई
खुद के ही ऊपर गर्म गर्म मोम ! वैसे
जब से मेरे दायें उरोज पर मोम गिरा था, तब से मेरा बायाँ उरोज
चीख चीख कर इन्साफ़ मांग रहा था,
उसे भी मोम की जलन चाहिये थी।
मुझे दायें उरोज का मीठा दर्द याद आ
गया.. पर नहीं कर सकी, मुझे ऐसे
लगा जैसे मेरा दायाँ स्तन मुझे और बाएँ स्तन को देख कर हंस रहा हो..
चिढ़ा रहा हो ! मैंने
मोमबत्ती बुझा दी, बाहर आ गई। रात में अपने दोस्त को सब
बता दिया मैंने, वो भी नाराज़ हो गये,
बोले- इतना भी नही कर पाई? बातें
इतनी बड़ी? उन्होंने मुझसे आगे बात नहीं की, बस
यही कहा- कल कुछ और सोचेंगे... उधर श्रेया भी ज़िद करने लगी-
आंटी एक कारनामा मेरे सामने कर के
दिखाना.. मैं
आपको देखना चाहती हूँ... मैं कुछ नहीं बोली। सवेरे फिर मित्र से बात हुई...
वो बोले- रात में जो नहीं कर सकी… मैं बीच में टोकते हुए बोली- सॉरी ! वो बोले- नो सॉरी, नो !
इसकी सजा मिलेगी ! जब स्कूल में मैं काम करके नहीं ले
जाती थी तब भी मुझे
सजा मिलती थी, आज उसकी याद
आ गई, मैंने कहा- ठीक है.. मुझे मंजूर
है ! क्योंकि अगर मैं
ऐसा नहीं करती तो वे मुझे रोज नये नये करतब करने को नहीं बताते ! मैं सजा भुगतने के लिए मान गई
क्योंकि मैं जानती थी कि सजा में
भी अब मुझे मज़ा लेना है। वे बोले- आज तुम्हें और श्रेया को घर
की छत पर साथ में दोपहर
का खाना खाना होगा.. मैंने कहा- इसमें क्या खास बात है,
थोड़ी धूप है तो गर्मी ही लगेगी। मुझे लगा कि वो धूप में खाना खाने
की सजा दे रहे हैं...मैंने एकदम हाँ कर
दी। आगे क्या हुआ? जानने के लिए पढ़ते
रहिय
वहाँ बिखरे साड़ी, कपड़े उठा कर
छिपाए, बाल ठीक किए,
दरवाजा खोला तो सामने श्रेया !
सरप्राइज़.. श्रेया मेरी पेईंग गैस्ट ! श्रेया मेरी पेईंग गैस्ट कम और
सहेली ज्यादा है ! अपने घर पर उसे भी अच्छा नहीं लगा,
वहाँ मन नहीं लगा तो तीन दिन
पहले ही आ गई। उसे मेरी बहुत याद
आ रही थी। सफ़र से आई थी तो साथ ही नहाने
चली गई। उसके बाथरूम में जाते ही मैं
कम्प्यूटर पर बैठ गई अपनी आज
बीती लिखने ! श्रेया नहा कर आई तो मुझे कम्प्यूटर
पर कुछ करते देख ! वो मेरी आँखों में देखने
लगी तो मेरी हंसी छूट गई। उसने कहा- मधुरेखा, मैं समझ रही हूँ,
कहीं यह आपका ही चमत्कार
तो नहीं? असल में उससे मैं कुछ नहीं छुपाती हूँ,
मैंने सब सच सच बता दिया। उसे
तो यकीन ही नहीं हुआ
कि मेरी जैसी अच्छे खानदान
की बहू अपनी लज्जा त्याग कर
इतना बड़ा कारनामा कर सकती है.. अब मैं उसे कह रही थी कि और उसे विश्वास
नहीं हो रहा था, वो मान
नहीं रही थी। फ़िर मैंने जब उसे अपना गाउन उतार
कर अपनी दाईं चूची पर मोम गिरने
से लाल हुई जगह दिखाई, जले
का हल्का सा निशान
दिखाया तो वो हैरान रह गई.. पर अब
तक मैंने ना उसे दूध वाले के साथ की अपनी हरकत के बारे में कुछ
कहा था, ना चाँदी के गिलास के बारे
में ! अच्छा हुआ कि उसने फ्रीज़र में
उसे नहीं देखा... मेरी चूची देख कर उसे मेरी चूत में
अभी भी बर्फ़ का असर बरकरार था,
मुझे लग
रहा था कि अभी भी मेरी चूत में कुछ
मोटा लण्ड जैसा फ़ंसा हुआ है, जैसे मैं अभी भी चुद रही हूँ। अभी तो मैंने यह नमूना ही करके
देखा था, रात को गिलास
वाली मोटी लम्बी बर्फ़ को अंदर
डाल कर हाथ में मोमबत्ती लेकर छत
पर घूमना बाकी था ! अब श्रेया से कैसे
कहूँ कि आज मुझे ये करतब करना है। वैसे मेरी हिम्मत भी नहीं थी आज
रात का तय कारनामा करने की, मैंने
आज के लिये इसे टालना ही उचित
समझा, शायद कल यह कर सकूँ ! अब
भी ऐसा लग रहा था कि अंदर बर्फ़ है
पर इससे एक फ़ायदा तो हुआ, मेरी धुल कर साफ हो गई पानी टपक टपक कर.. श्रेया अपने घर से दीवाली का ढेर
सारा सामान लाई थी, खाने पीने
का काफ़ी सामान था, उसने कहा- मधु
आंटी, अब खाना मत बनाना, इसी में
से कुछ खा पी लेंगे ! अब तो बस
मस्ती करते हैं। रात में हमने खूब बातें की, अब मैं सोच
रही थी कि अगर अब कोई
कारनामा हम दोनों मिल कर करें
दिन में तो बहुत मज़ा आएगा। कुछ ऐसा गुल खिलाएँ जिसमें दर्द
भी हो मज़ा भी, जिसे हम
दोनों साथ हों, वो भी मेरे साथ करे ! लेकिन क्या वो मेरी बात के लिए
राजी हो जाएगी? मैं तो यह चाह
रही थी कि श्रेया खुद कहे कुछ
ऐसा करने को ! इसके लिए तो फ़िर अपने
उन्हीं मित्र की शरण में जाना था। श्रेया बहुत थकी थी इसलिए
जल्दी सो गई पर मुझे अब भी मुझे
मेरी चूत सुन्न ही लग रही थी। पर
सच में बड़ा ही मज़ा आया, एक
छोटा सा आइस क्यूब जो शरबत में
डाला तो उसकी कोई हैसियत नहीं पर जब अंदर जाता है..
तो मेरी जैसी इतनी बड़ी औरत
को भी कैसे ज़मीन पर लोटने पर
मजबूर कर दिया। मैं तो जमीन पर लोट रही थी, पैर
पटक रही थी, बर्फ़ को निकालने
का भरसक प्रयास कर रही थी पर
नहीं निकल रहा था, ऐसा लग
रहा था कि किसी ने मेरे अंदर लण्ड
फ़ंस गया या एकदम किसी ने मुझे बड़े लौड़े से बेरहमी से चोद दिया हो !
बता ही नहीं सकती कि कितनी
तड़प थी मुझमें ! मैंने कई बार खुद के
ही होंठ चबाए,
अँगुलियाँ सिकौड़ी पैर पटके.. कसम
से अगर कोई मुझे उस वक्त
देखता तो ऐसा लगता मुझमें नागिन आ गई हो, श्री देवी से
भी ज़्यादा छटपटाहट मैंने की होगी।
ऐसा लग
रहा था कि जलती मोमबत्ती अंदर
डाल लूं तो सारी बर्फ़ पिंघल
जायेगी। आज पहली बार मैं हारने जा रही थी,
मैंने जो ठाना था, उसका ट्रायल करने
के बाद मुझ में हिम्मत
नहीं थी कि मैं उसे पूरा करूँ। आज
ऐसा लगा कि खुद को सजा दूँ। मैं एक
मोमबत्ती और माचिस लेकर बाथरूम में गई, मोमबत्ती जलाई और
अपनी चूची पर जानबूझ कर मोम
गिराना चाहा पर ना गिरा सकी, हाथ
काम्प रहे थे... हिम्मत ही नहीं हुई
खुद के ही ऊपर गर्म गर्म मोम ! वैसे
जब से मेरे दायें उरोज पर मोम गिरा था, तब से मेरा बायाँ उरोज
चीख चीख कर इन्साफ़ मांग रहा था,
उसे भी मोम की जलन चाहिये थी।
मुझे दायें उरोज का मीठा दर्द याद आ
गया.. पर नहीं कर सकी, मुझे ऐसे
लगा जैसे मेरा दायाँ स्तन मुझे और बाएँ स्तन को देख कर हंस रहा हो..
चिढ़ा रहा हो ! मैंने
मोमबत्ती बुझा दी, बाहर आ गई। रात में अपने दोस्त को सब
बता दिया मैंने, वो भी नाराज़ हो गये,
बोले- इतना भी नही कर पाई? बातें
इतनी बड़ी? उन्होंने मुझसे आगे बात नहीं की, बस
यही कहा- कल कुछ और सोचेंगे... उधर श्रेया भी ज़िद करने लगी-
आंटी एक कारनामा मेरे सामने कर के
दिखाना.. मैं
आपको देखना चाहती हूँ... मैं कुछ नहीं बोली। सवेरे फिर मित्र से बात हुई...
वो बोले- रात में जो नहीं कर सकी… मैं बीच में टोकते हुए बोली- सॉरी ! वो बोले- नो सॉरी, नो !
इसकी सजा मिलेगी ! जब स्कूल में मैं काम करके नहीं ले
जाती थी तब भी मुझे
सजा मिलती थी, आज उसकी याद
आ गई, मैंने कहा- ठीक है.. मुझे मंजूर
है ! क्योंकि अगर मैं
ऐसा नहीं करती तो वे मुझे रोज नये नये करतब करने को नहीं बताते ! मैं सजा भुगतने के लिए मान गई
क्योंकि मैं जानती थी कि सजा में
भी अब मुझे मज़ा लेना है। वे बोले- आज तुम्हें और श्रेया को घर
की छत पर साथ में दोपहर
का खाना खाना होगा.. मैंने कहा- इसमें क्या खास बात है,
थोड़ी धूप है तो गर्मी ही लगेगी। मुझे लगा कि वो धूप में खाना खाने
की सजा दे रहे हैं...मैंने एकदम हाँ कर
दी। आगे क्या हुआ? जानने के लिए पढ़ते
रहिय
मैं किसी काम से मामा के
यहाँ गया जो कि शहर में रहते हैं। जब
मैंने घर पहुंचकर घण्टी बजाई
तो दरवाजा मेरी मामी ने खोला। और गजब......... मैंने देखा तो फिर
देखता ही रह गया।
मेरी मामी इतनी खूबसूरत
थीं कि उनको देखते ही मेरा मुँह
खुला का खुला ही रह गया, चौंका तब
जब कि मामी ने पूछा कि कहाँ खो गये? मेरे मुँह से आह की आवाज निकल
गई। मैंने कहा- आप में ही खो गया हूँ !
आप सुन्दर ही इतनी हैं कि होश
ही न रहा ! यह सुनकर मामी शरमा गईं और कहा-
उंह ! चलो अंदर ! मैं अंदर आ गया तो मामी से पूछा-
मामा कहाँ हैं ? तो मामी ने बताया- वे काम से शहर से
बाहर गये हुए हैं, शाम तक आ जायेंगे। उस समय दस बज़े थे। तब
मामी बोली- तुम बैठो, मैं चाय लेकर
आती हूँ। मैं वहाँ पर बैठ गया और मामी चाय लेने
चली गईं। मैं मामी के बारे में सोच
रहा था। उनकी उम्र 20 साल
की थी और फिगर34-26-34. वोह
गॉड. अब मैं सोचने लगा कि कैसे
मामी की चुदाई की जाये। लेकिन मुझे कुछ ज्यादा मेहनत
नहीं करनी पडी मामी ने खुद
ही शुरूआत कर दी। थोड़ी देर बाद
मामी चाय लेकर आ गई। चाय पीते हुए
मैं मामी को बड़े ध्यान से देख रहा था,
खास तौर से उनकी चूचियों को जो कि उस
समय टॉप में से छलक कर बाहर आने
को हो रही थीं और जींस की पैंट में
कसे हुए चूतड़ ! वाह वाह क्या गजब के
थे ! पतली कमर लोच खाती हुई ! मस्त
मस्त ! सब कुछ मस्त ही तो था। यह सब देखकर मेरा लंड
खड़ा हो गया था। मामी यह जानकर
भी अंजान बनकर बैठी हुई थीं कि मैं
उनको देख रहा हूँ और
मुस्कुरा भी रही थीं। अचानक मामी ने मुझसे पूछा- क्या देख
रहे हो? और मैं हड़बड़ा गया। इसी हड़बड़ाहट में
मेरी थोड़ी सी चाय मेरे लंड के पास
जांघों पर गिर गई। चाय गर्म
थी इसलिए मैं जोर से चीख पड़ा।
मेरी चीख सुनकर मामी खड़ी हो गईं
और मेरी तरफ लपकी। इसी हड़बड़ाहट में वे चाय को मेज पर
रखना भूल गईं और उनकी चाय
जो कि आधी से भी कम बची हुई
थी उनकी भी बुर के पास जांघों पर
गिर गई। मैंने फौरन ही चाय मेज पर
रखी और मामी की तरफ़ लपक कर उनकी जींस पर से चाय झाड़ने लगा।
चाय झाड़ते हुए कई बार मेरा हाथ
उनकी बुर पर भी लगा। मामी बोली- उफ ! उधर तुम्हारी पैंट
पर चाय गिरी और इधर मेरी पैंट पर ! और वो हा हा ही ही करके हंसने
लगी। उनको हंसते देखकर मुझे
भी हंसी आ गई। लेकिन चाय से होने
वाली जलन से मेरी आँखों में आंसू आ
गये थे। उन्होंने कहा- मेरी पैंट तो भीग गई है
उतारनी पड़ेगी ! और जब तक मैं कुछ समझता उन्होंने
अपनी पैंट नीचे खिसका दी। अब
उनकी केले के तने की तरह
चिकनी जांघें चमचमा उठीं और
मेरा लंड और भी तेजी से
खड़ा हो गया। उन्होंने कहा- यह देखो, यहाँ पर चाय
गिरी है ! उन्होंने अपनी जांघ सोफे पर रखकर
मुझे दिखाई। उफ्फ़ !
क्या गोरी गोरी चिकनी जांघें थी ! मैंने कहा- मामी, तुम्हारी जांघें
कितनी चिकनी हैं ! तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर
अपनी जांघों पर रख दिया और कहा-
पहले मुझको इस दर्द से
छुटकारा दिलाओ, फिर तारीफ
करना ! मैंने कहा- मामी, तुम्हारी जांघें
चाटनी पड़ेंगी तब तुमको इस दर्द से
छुटकारा मिलेगा। मामी ने कहा- चाहे जो करो, लेकिन
जल्दी करो ! वे सोफे पर बैठ गईं। मैं मामी की जांघ
को जोर जोर से चूमने चाटने लगा।
करीब एक मिनट के बाद मैंने अपने
हाथों से दूसरी जांघ भी सहलानी शुरू
कर दी। मामी चुपचाप आंखें बंद किये
मजा ले रही थीं और हल्के हल्के आह उह की आवाजें निकाल रही थीं। मैं
जानता था कि चाय इतनी भी गर्म
नहीं थी कि फफोले पड़ जायें
लेकिन मामी चुदासी थीं, यह अब
पता चल रहा था। थोड़ी देर बाद मामी बोलीं- हाँ अब
दर्द बहुत कम हो गया है ! तो मैंने कहा- मामी मैं दूसरी जांघ
को भी चाट लूं ! तो उन्होंने पहले तो मुझे घूरकर
देखा फिर धीरे से कहा-
अच्छा जो चाहो, चाट लो ! तब मैंने दूसरी जांघ
भी चूमनी चाटनी शुरू की और धीरे से
अपना एक हाथ उनकी पैंटी पर
फिराने लगा। मैंने
देखा कि मामी की पैंटी पूरी गीली
हो चुकी थी। पैंटी पर हाथ फिराते फिराते मैं उनकी बुर पर भी हाथ
फिराने लगा जो कि एकदम
गीली थी। जब मामी कुछ नहीं बोली तो फिर
मैं समझ गया कि रास्ता एकदम साफ
है। मैंने धीरे से अपना हाथ
उनकी पैंटी में डाल दिया और
सहलाने लगा। अब मामी जोर जोर से
उंह आह आह सीईईईईई आहहहह कर रही थीं। मैं समझ
गया कि उनको मजा आने लगा है। अब मैंने जांघे चाटनी छोड़ कर मुँह
ऊपर उठाया तो मामी ने कहा- और
जोर से चाटो ! चाटना क्यों छोड़
दिया? मैंने कहा- मामी, मैं अब
तुम्हारी बुर चाटना चाहता हूँ ! तो मामी ने गुस्से से मेरी तरफ
देखा और कहा- मैंने पहले ही तुमसे
कहा था कि जो चाटना चाहो ,चाटो !
मुझसे पूछने की जरूरत नहीं है। मैं फौरन अपना मुँह मामी की पैंटी
...


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