मकान मालकिन को हर तरीके से चोदा
प्रेषक :- राहुल
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम राहुल है मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ। मैं दिखने मैं बहुत ही स्मार्ट हूँ। मेरे घर में मेरे मम्मी-पापा और मेरा एक छोटा भाई है। वो बहुत छोटा है मेरे पापा एक सरकारी ऑफिसर हैं तो सीधे कहानी पर आता हूँ। ये बात उस समय की है जब मैं 12th की परीक्षा की तैयारी में जोरो- शोरो से लगा था। क्योंकी मैं पिछले साल 12th में फ़ैल हो गया था और इस बार मुझे पास होना था। घर वालो का प्रेशर मुझ पर कुछ ज्यादा ही था। अगर मैं इस साल फ़ैल हो जाता तो मुझे मेरे पापा बाहर नही भेजते हायर एजुकेशन के लिए। और ये मैं बिलकुल नही चाहता था क्योकि में पिछले साल फ़ैल हो गया और मेरे साथ के दोस्त सब बाहर पढने के लिए चले गये और मैं अकेला रह गया तो दोस्तों इस बार मैं कोई भी चांस नही लेना चाहता था इस बार मुझे केसे भी बाहर जाना था। दोस्तों मैंने ठान ली थी की इस बार तो केसे भी मुझे पास होना है।
मैं अपना सारा वक्त निकाल कर अपनी पढाई में देता था क्योकि मुझे इस बार पास होना था। में बाहर भी नही जाता था। मैं बाहर उतना ही निकलता था
जब कोई जरूरी काम आता था यहाँ तक की दोस्तों मैं अपने दोस्तों से भी नही मिलता था एक दिन में अपने कॉलेज गया और प्रेयर होने के बाद में अपनी क्लास में जाके बैठ गया तो मेरे पास मेरे दोस्त आये और बोले अरे यार तू तो एक दम बदल सा गया है कोई बात है क्या? तो मैंने उनको पूरी बात बताई वो सब मेरे को दिलासा देते हुये अपनी-अपनी सीटो पर बैठ गये जाके। वो ऐसा इस लिए पूँछ रहे थे क्योंकी मैं अपनी क्लास में सबसे हरामी और सबकी फाड़ने वालो में था। और अचानक मेरा बेहेवियर देख कर वो सब हैरान सा हो गये थे। दोस्तों मेरी गर्ल फ्रेंड मेरे ही साथ मेरी सीट पर बैठती थी। 1st पीरियड ख़त्म हुआ में क्लास से गया और पानी पीके आया और अपनी सीट पे बैठ गया। 2nd पीरियड खाली था तो सभी बच्चे क्लास में मौज-मस्ती ले रहे थे में और मेरी गर्लफ्रेंड चुप-चाप अपनी सीट पर आराम से बैठे हुए बाते कर रहे थे। मेरी गर्लफ्रेंड भी एकदम पटाका माल थी।
जब कोई जरूरी काम आता था यहाँ तक की दोस्तों मैं अपने दोस्तों से भी नही मिलता था एक दिन में अपने कॉलेज गया और प्रेयर होने के बाद में अपनी क्लास में जाके बैठ गया तो मेरे पास मेरे दोस्त आये और बोले अरे यार तू तो एक दम बदल सा गया है कोई बात है क्या? तो मैंने उनको पूरी बात बताई वो सब मेरे को दिलासा देते हुये अपनी-अपनी सीटो पर बैठ गये जाके। वो ऐसा इस लिए पूँछ रहे थे क्योंकी मैं अपनी क्लास में सबसे हरामी और सबकी फाड़ने वालो में था। और अचानक मेरा बेहेवियर देख कर वो सब हैरान सा हो गये थे। दोस्तों मेरी गर्ल फ्रेंड मेरे ही साथ मेरी सीट पर बैठती थी। 1st पीरियड ख़त्म हुआ में क्लास से गया और पानी पीके आया और अपनी सीट पे बैठ गया। 2nd पीरियड खाली था तो सभी बच्चे क्लास में मौज-मस्ती ले रहे थे में और मेरी गर्लफ्रेंड चुप-चाप अपनी सीट पर आराम से बैठे हुए बाते कर रहे थे। मेरी गर्लफ्रेंड भी एकदम पटाका माल थी।
कॉलेज के सभी लड़के उसपे लट्टू थे। और मेरा माल बिलकुल घास नही डालता थी। दूसरी बात सभी को पता था की वो मेरा माल है तो इसलिए लडको की फटती भी थी मुझसे क्योकि मैंने कई बार लडको को कुत्ता बनाकर मारा था इसलिए सब डरते थे वो मेरे से सेक्स के बारे में पूँछ रही थी क्योकि 2nd पीरियड साइंस का ही था। और आप लोग दोस्तों तो जानते हो की साइंस की बुक में कई ऐसे सीन भी होते हैं की पढ़ते समय सभी लडको का लगभग लंड खड़ा हो जाता है और लडकियो की चुतो में से पानी निकलने लगता है और फिर बाद में अपने-अपने घरो में सभी मूंठ मारते है और लडकिया अपनी उंगलियों से अपनी-अपनी चुतो में फिन्गेरिंग करती है। जब मैं अपनी माल को सेक्स के बारे मैं बता रहा था तो वो धीरे-धीरे गर्म हो चुकी थी और मेरी तरफ बढ़ रही थी। मैं भी उसे बताते-बताते गरम हो चुका था उसके बाद मैं वो मुझे लिपटने-चिपटने लगी मैं भी पूरी तरह से गर्म हो चूका था मैंने पूरा प्लान उसे चोदने का बना लिया था मैंने उसे बाथरूम में जाने को कहा और वो मान गयी।
मैंने फिर तुरंत अपने दोस्त को पूरी बात बताई की भाई बाथरूम के बाहर ध्यान रखना वो समझ गया।
मैं उसे बाथरूम में ले के चला गया और मेरा दोस्त बाहर खड़ा होके ध्यान रख रहा था मैंने पहले उसको अपने आप से चिपका लिया फिर उसके होंठो को अपने होंठो में लेके चूसने लगा वो भी बराबर मेरे साथ दे रही थी थोड़ी देर बाद उसने मेरे सारे कपडे उतार दिए और मेरे लंड को अपने मुह में ले के चूसने लगी और मैं अहहाह अहहहा अहहाह अह की सिस्कारिया ले रहा था। उसके बाद उसके भी कपडे उतार कर उसकी गुलाबी चूत में अपना मोटा लम्बा सा लौड़ा डाल कर उसकी चूत में अन्दर-बाहर करके चोदने लगा और उसके मुह से इह आहाह अहहअहहह अह अहहहा औंह उन्ह उन्ह ओहोहोहोहोह अह्हह उन्ह उन्हुन की सिस्कारिया ले रही थी। थोड़ी देर बाद हम दोनों ही झड गये थे। उसके बाद में हम दोनों ने अपने कपडे पहन कर एक-एक करके बाथरूम से बाहर निकल आये और आके अपनी क्लास में बैठ गये। अब हमारे एग्जाम की डेट आ गयी थी सभी लोग अपनी-अपनी तयारी में लग गये और पढाई में बिजी रहने लगे। समय बिता हमारे एग्जाम हो गये।
अब रिजल्ट की बारी थी सभी लोगो की फट रही थी उसमे खास कर मेरी ज्यादा ही फट रही थी जब में अपना रिजल्ट देखने गया तो में बहुत डरा सा था मैंने डरते हुए अपना रिजल्ट देखा तो मैं भगवान् की दयादृष्टि से पास था इतने अच्छे नंबर नही सिक्योर कर पाया था बट मेरा एडमिशन बाहर हो जाता में बहुत खुस था की चलो पास तो हुआ। मैंने अपने घर वालो को बताया की में पास हो गया हूँ तो वो भी बहुत खुस हुए उतना नहीं जितना में चाहता था। क्योकि मेरे नंबर ज्यादा अच्छे नहीं थे। और उनके ज्यादा खुश होने से मुझे घंटा फर्क नही पडा कुछ दिनों के बाद मैंने दिल्ली यूनिवर्सिटी में फॉर्म अप्लाई कर दिया और मेरा उसमे नाम आ गया में बहुत खुश था की मेरा नाम आ गया क्योकि मुझे सुरु से दिल्ली यूनिवर्सिटी में ही पढना पसंद था। मैंने दिल्ली जाके अपना एडमिशन करवा लिया। और मुझे रहने के लिए एक कमरे की जरुरत थे। मैं ढूंढ़ता हुआ एक मकान मालिक से पूछा की सर कोई रूम खाली होगा आपके पास तो उसने मेरा पूरा पता लेते हुई एक कमरा दिखवाया। मैंने कमरा देख लिया और मुझे पसंद आया मैंने वो कमरा ले लिया और रहने लगा। कुछ दिन बीते मकान मालिक की बीबी ने मुझे बुलाकर कुछ सामान मंगवाया मैंने उन्हें सामान ला के दे दिया और उन्होंने मुझे धन्यवाद् कहा मैंने कहा अरे आंटी इसमें धन्यवाद् की क्या बात है कोई बात नहीं। इतना तो मैं कर ही सकता हूँ आपके लिए। यह कहकर मैं अपने कमरे में चला गया। और फिर शाम को उन्होंने मुझे फिर बुलाया और कहा की बेटा मैं नहाने जा रही हूँ अभी थोड़ी देर में दूध वाला आएगा तो बेटा मेरा दूध ले लेना मैंने कहा ठीक है। क्योकि उनके घर में दिन में केवल वही बचती थी उनके पति रोज दफ्तर चले जाते थे और उनका एक ही लड़का था वो बाहर पढता था।
मैं वही उनके सोफे पर बैठ गया और टी.वी . देखने लगा। आंटी नहा कर बाहर आ चुकी थी और दूधवाला अभी तक नही आया था। जब आंटी नहा कर बाहर आई तो उन्होंने अपने शरीर पर केवल टावेल लपेट रखा था। टावेल इतना छोटा था की आंटी की जांघे दिख रही थी। गोरी-गोरी जांघो को देखकर देखकर मेरा लंड का हाल बेहाल हो रहा था। और साला दूधवाला अभी तक नही आया था। आंटी के पूंछने पर मैंने कहा की नही आया है। तो उन्होंने कहा कि कोई बात नही बैठो और वो भी मेरे पास ही आके बैठ गयी थी। अब मेरा और भी संतुलन ख़राब हो रहा था। आंटी को शायद मैं पसंद था। इसलिए मुझे वो अपने पास में बैठने को कह रही थी। और मुझे भी कोई दिक्कत न होते हुए में उनके पास में बैठा रहा। आंटी मुझसे मेरे बारे में पूंछने लगी और थोड़ी देर बाद उनकी नजर मेरे लंड की तरफ गयी मेरा लंड फूल गया था। वो जान गयी थी की लड़का मेरे काम का है आंटी दिखने में सेक्सी तो थी ही साथ-साथ वो गरम भी दिखती थी धीरे-धीरे वो मेरे करीब आने लगी और फिर पहले वो मेरे बालो के साथ खेलने लगी उसके बाद में वो मेरे गालो से लगाकर मेरी होंठो को जोर-जोर से मलने लगी।
दोस्तों मैं पूरी तरह से गरम हो चूका था मैं भी आंटी की होंठो को चूसने लगा आंटी बहुत गरम थी शायद अंकल उन्हें अच्छी तरह से चोद नही पा रहे थे चोदते भी कैसे वो पूरा दिन घर से बाहर ही रहते थे। शाम को थके हुए आके खाना-पीना करके सो जाते थे। इसलिए शायद आंटी की चुदवाने की भूख आधूरी रह जाती थी। थोड़ी देर में दोस्तों आंटी ने मेरे सारे कपडे उतार दिए और मेरे पूरे शरीर को चाटने लगी। और बाद में वो मेरे लंड को अपने मुह में ले के चूसने लगी। और मेरे मुह से आहहाह अह्हअहहाह अहअहहाह अहहाह की सिस्कारिया निकल रही थी। कुछ देर बाद जब मेरा लंड फूल के लम्बा और मोटा हुआ तब मैंने आंटी की टावेल को उतार दिया और फिर आंटी को उसी सोफे पर लिटा के उनकी गोरी सी चूत में अपना मोटा लंड दाल के चुदाई करने लगा। और आंटी मजे लेते हुए अहहआह्ह आह्ह आह्ह आह्ह ओह्ह्ह ऊह्ह्ह की सिस्कारिया निकाल रही थी।
कुछ देर के बाद में मैंने आंटी के पैरो को अपने कंधो पर रख कर उनकी चुदाई करने लगा। लगभग 15 मिनट के बाद में आंटी की चूत में ही झड गया। और आंटी ने लंड को अपने मुह में लेके चाटने लगी। लगभग 10 मिनट के बाद में मेरा लंड खड़ा हुआ और मैंने इस बार आंटी की गांड मारनी चाही तो मैंने आंटी को घोड़ी बनाकर उनकी गांड में अपना लंड दाल दिया। आंटी मजे तो ले रही थी पर आंटी की गांड भी फट रही थी क्योकि मेरा लंड बहुत मोटा और लम्बा था और आंटी की गांड पतली थी पर आंटी को मजे के आगे कुछ नही दिख रहा था जब में आंटी की गांड में अपना लंड अन्दर – बाहर कर रहा था आंटी को लग रहा था की बहुत मजा आ रहा था और वे सिस्कारिया ले रही थी। थोड़ी देर में जब झड़ने वाला था आंटी ने मेरे लंड को अपने मुह में ही ले के झडवा लिया और थोड़ी देर तक मेरे लंड को चाटते – चाटते साफ़ कर दिया।
अब दोस्तों अंकल के आने का समय हो गया था। आंटी फिर से बाथ लेने चली गयी और मैं भी दोस्तों अपने कपडे पहन के अपने कमरे में चला आया। इस तरह से दोस्तों मैंने मकान मालिक की बीवी को हर तरह से चोदा और आज भी दोस्तों जब मेरा मन करता है तो मैं उसकी चोदता हूँ। तो दोस्तों ये थी मेरी कहानी जानता हूँ की आप सभी लोगो को पसंद आई होगी।
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